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विवादों से बिकती किताबें !

Shoaib Akhtar : controversially yoursक्रिकेट के मैदान से जब धुरंधर रिटायर होते हैं तो वह अपनी जिंदगी के सबसे रोमांचक पलों को किताब की शक्ल में उतार देते हैं. लेकिन कुछ लोग रिटायर होने के बाद क्रिकेट और लाइम लाइट से खुद को दूर नहीं रख सकते. ऐसे लोग अपनी आत्मकथा और किताबों में स्कैंडल और मैदान पर होने वाली छींटाकशी का तड़का लगाते हैं. ऐसे तड़कों के चक्कर में आजकल भारतीय क्रिकेटरों का नाम बहुत ज्यादा उछाला जा रहा है.


हाल ही में क्रिकेटर शोएब अख्तर ने अपनी किताब “कंट्रोवर्शियली योर्स” में भी सचिन, द्रविड़ जैसे भारतीय खिलाड़ियों पर वार किया है. शोएब अख्तर ने कहा है कि सचिन उनकी गेंदों से डरते थे. अख्तर ने लिखा है कि मैंने तेंदुलकर को एक गेंद फेंकी थी और वह इतना घबरा गए थे कि उन्होंने गेंद को छुआ तक नहीं. वह पहला मौका था जब मैंने तेंदुलकर को अपनी गेंद की रफ्तार से घबराते हुए देखा था. यह तब हुआ था जब फैसलाबाद की पिच को अपेक्षाकृत धीमा माना जाता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि द्रविड़ में भी मैच जिताने की क्षमता कम है.


लेकिन उनका विवादों के साथ किताब बेचने का फार्म्यूला लगता है काम नहीं आया क्यूंकि किताब की ओपनिंग कई बड़े शहरों में होते-होते रह गई. वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी क्रिकेटर ने भारतीय खिलाड़ी पर अपनी किताब में कुछ कहा हो. आइए नजर डालते हैं ऐसे ही दो तीन क्रिकेटरों पर जिन्होंने अपनी किताब में भारतीय खिलाड़ियों पर निशाना लगाया है.


Standing my Ground by Matthew Hayden मैथ्यू हैडन: मैथ्यू हेडन ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि 2004 में नागपुर टेस्ट के दौरान मैदान पर हरी घास देखकर पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली और हरभजन सिंह ने आराम का बहाना बना कर मैच ना खेलने का फैसला किया. हालांकि बाद में इस बात पर हरभजन और सौरभ ने कड़ी आलोचना की. लेकिन विवादों की वजह से मैथ्यू हैडन की किताब “स्टैंडिंग माई ग्राउंड” बिकी.


जान बुकानन: जान बुकानन आईपीएल द्वितीय में कोलकाता के कोच रह चुके हैं. उन्होंने अपनी किताब ‘फ्यूचर ऑफ क्रिकेट- द राइज आफ ट्वेंटी-20 में लिखा था कि गावस्कर पूर्वाग्रह से ग्रस्त और परंपरावादी हैं, जो नए विचारों के लिए अपने दिमाग के दरवाजे बंद रखते हैं. साथ ही उन्होंने सचिन की फिटनेस और टी-ट्वेंटी खेलने पर भी सवाल उठाया था. इसके अलावा  उन्होंने हरभजन के बारे में भी काफी कुछ लिखा था. भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह की तुलना उन्होंने अपनी किताब में एक ऐसे नौसिखिया बॉक्सर से की है, जो रिंग में उतरते ही मुक्के चलाने के लिए बेताब हो जाता है, लेकिन जब काउंटर अटैक में पिटाई हो जाती है तो बौखला जाता है.


Gilchrist Autobiography, "True Colours: My Life"एडम गिलक्रिस्ट: गिलक्रिस्ट ने अपनी आत्मकथा में तेंदुलकर पर आरोप लगाया कि उन्होंने मैच रेफरी और अपीली आयुक्त के सामने इस घटना को लेकर अलग-अलग बयान दिए थे. गिली ने यह भी लिखा था कि जब भी भारतीय टीम मैच हार जाती थी तो सचिन और हरभजन विरोधी टीम से हाथ मिलाने नहीं आते थे जिसकी वजह उनमें खेल भावना की कमी थी.


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