पाकिस्तान के कुछ खिलाड़ियों ने ऐसा काम किया है जिससे पूरी क्रिकेट दुनिया ही शर्मसार हुई और उस पर दाग लग गया है. अब यह खेल आम जनता के दिलों में ऐसा हो गया है जहां पैसे देकर किसी भी मैच का नतीजा यहां से वहां किया जा सकता है. अगर एक मैच में कप्तान और मुख्य गेंदबाज ही पैसे लेकर खेल रहे हों तो क्या होगा.
अगर पाकिस्तान की बात की जाए तो पहले भी उसके खिलाड़ियों पर खेल को शर्मसार करने का आरोप लगता रहा है पर पिछला कुछ समय इस टीम के लिए बेहद कठिन रहा है जहां हर खिलाड़ी को शक की निगाहों से देखा जा रहा है. साल 2010 में पाकिस्तान की टीम जब इंग्लैण्ड दौरे पर गई थी तो उन पर यह आरोप लगे कि बुकी मजहर मजीद से पैसे लेकर पाकिस्तान के तीन खिलाड़ियों ने लॉर्ड्स टेस्ट के दौरान नो बॉल फेंकी थी. इस खुलासे में सलमान बट, मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ के नाम सामने आए थे. उस समय बट पाकिस्तान टेस्ट टीम के कप्तान थे.
पाकिस्तान हुआ शर्मसार
ब्रिटेन में हुए कोर्ट के फैसले में पूर्व कप्तान बट पर दो आरोप तय किए गए जिसमें उन्हें गलत तरीके से राशि स्वीकार करने का षड्यंत्र रचने और धोखाधड़ी का षड्यंत्र रचने का दोषी पाया जबकि आसिफ पर धोखाधड़ी का षड्यंत्र रचने का आरोप सिद्ध हुआ. कोर्ट में सुनवाई के 20वें दिन यह फैसला आया और जूरी को फैसले पर पहुंचने के लिए 16 घंटे तक चर्चा करनी पड़ी. पिछले साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को हिलाने वाले इस प्रकरण में बट को सात साल तक की जेल का सामना करना पड़ सकता है. अब बंद हो चुके न्यूज आफ द वर्ल्ड टेब्लायड के स्टिंग आपरेशन में खुलासा किया गया था कि इन दोनों ने कथित सट्टेबाज मजहर मजीद के साथ मिलकर इंग्लैंड के खिलाफ लार्ड्स टेस्ट में जानबूझकर नो बाल फेंकने का षड्यंत्र रचा. मजीद ने स्टिंग आपरेशन के दौरान दावा किया था कि पाकिस्तान के छह खिलाड़ी उसके लिए काम करते हैं और किसी मैच में निश्चित समय के खेल को फिक्स करने के लिए 10 लाख डालर से कुछ अधिक की राशि की जरूरत पड़ती है. मजीद ने फिक्सिंग में सलमान बट, मोहम्मद आसिफ, मोहम्मद आमिर, उमर अकमल, कामरान अकमल, वहाब रियाज और इमरान फरहत का नाम लिया था.
पहले भी होते थे मैच फिक्स
पाकिस्तान के कुछ पूर्व खिलाड़ी पहले भी मैच फिक्सिंग में पकड़े जा चुके हैं. पर ऐसा करने में आस्ट्रेलियाई और भारतीय खिलाड़ियों के नाम भी खूब उछले हैं. अगर गौर किया जाए तो पाएंगे कि हर टीम के कुछेक खिलाड़ी हमेशा संदेह की निगाहों में रहते हैं. आइए नजर डालते हैं कुछ ऐसे वाकयों पर जिन्होंने क्रिकेट के जेंटलमैन खेल को दागदार किया.
1994: आस्ट्रेलिया के शेन वार्न और मार्क वॉ ने श्रीलंकाई दौरे पर सट्टेबाजों को अहम सूचनाएं लीक की थी. इसके लिए टीम प्रबंधन ने उन पर जुर्माना भी लगाया
2000: भारतीय क्रिकेट का काला इतिहास
साल 2000 में भारतीय क्रिकेट जगत उस समय शर्मसार हो गया जब दक्षिण अफ्रीका के साथ चल रही सीरीज पर फिक्सिंग का साया पड़ गया. इस मामले में कई बेहतरीन खिलाड़ियों का कॅरियर खत्म हो गया. हेंसी क्रोनिए, मोहम्मद अजहरुद्दीन, अजय जडेजा और नयन मोंगिया जैसे खिलाड़ी इस वाकये के बाद कभी क्रिकेट के मैदान पर नजर ही नहीं आए.
दरअसल दिल्ली पुलिस ने दक्षिण अफ्रीकी कप्तान हैंसी क्रोनिए और सटोरिये संजीव चावला के बीच बातचीत को टेप किया जिसमें मैच फिक्सिंग की बात की जा रही थी. इस पूरे मामले में अजय जडेजा, मोहम्मद अजहरुद्दीन और मनोज प्रभाकर को भी सजा मिली. जहां मोहम्मद अजहरुदीन को आजीवन प्रतिबंध झेलना पड़ा वहीं जडेजा को पांच साल के लिए क्रिकेट से दूर रहने की सजा दी गई. इस एक कांड ने भारतीय क्रिकेट को शर्म से झुका दिया.
2007: वेस्ट इंडीज के क्रिकेटर मर्लोन सैमुअल्स भी मैच फिक्सिंग की वजह से प्रतिबंधित हो चुके हैं.
क्यूं होते हैं मैच फिक्स
क्रिकेट जगत में आज ऐसे कई खिलाड़ी आ रहे हैं जिनका बैक ग्राउंड बेहद मध्यम वर्गीय परिवार से होता है. उन्हें जब क्रिकेट की चकाचौंध भरी दुनिया देखने को मिलती है तो वह पैसों के लिए जैसे पागल हो जाते हैं. विज्ञापनों के बाजार में जिन क्रिकेटरों को अच्छा मोल मिल जाता है वह तो सेटल हो जाते हैं पर जो और अधिक पैसा बनाना चाहते हैं वह मैच फिक्सरों के सॉफ्ट टारगेट बन जाते हैं. फिर शुरू होता है पैसे का ऐसा खेल जिससे निकल पाना इन खिलाड़ियों के लिए नामुमकिन हो जाता है. हाल के ट्रेंड में पैसे के साथ सेक्स के कॉकटेल ने फिक्सिंग के नशे को और भी बढ़ा दिया है. पाकिस्तान के जिन खिलाड़ियों का नाम मैच फिक्सिंग में आया उनका रुझान भी पैसे और सेक्स की तरफ ही था.
लेकिन कई बार खिलाडियों पर ऊपरी दवाब भी डाला जाता है जैसे टीम से बाहर कर देने की धमकी या परिवार वालों को चोट पहुंचाने का डर, ऐसे में खिलाड़ी कई बार गलत कदम भी उठा जाते हैं.
पर सवाल यह है कि अगर एक समाचार पत्र ऐसे खुलासे कर सकता है तो आईसीसी की एंटी करप्शन ब्यूरो क्या फ्री की सैलरी लेती है? आईसीसी ने मैच फिक्सिंग से बचने के लिए एक विशेष शाखा बना रखी है जिसका काम ही मैच फिक्सिंग पर नजर रखना है लेकिन उसकी सुस्त चाल का ही नतीजा है कि मैच फिक्सिंग का भूत दिनों दिन इस खेल को कलंकित किए जा रहा है.
आने वाले दिनों में और भी कई मैच और खिलाड़ी मैच फिक्सिंग के साये में आ सकते हैं जिससे हो सकता है कि इस खेल की लोकप्रियता पर गहरा असर पड़े. अगर ऐसा होता है तो वाकई यह इस खेल के लिए बेहद शर्म की बात होगी.
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