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क्या फिक्स था वो जिसमें रोया था भारत

Azhar Kambliकहने को तो भारत ने साल 1983 के बाद 2011 में क्रिकेट विश्व कप को हाथ लगाया है पर उसके पास एक ऐसा मौका भी था कि यदि वह चाहता तो विश्व कप उसके हाथ में होता. इस बात का खुलासा किया है एक ऐसे खिलाड़ी ने जो खुद इस खेल का हिस्सा था. अगर आपकी याद्दाश्त तेज है तो आपको 1996 का सेमीफाइनल मैच याद होगा. इस मैच में भारत हार गया. मैच के बाद खिलाड़ी ही नहीं बल्कि पूरा देश रो रहा था. मैच की हार को जिन लोगों ने देखा उन्होंने स्टेडियम में ही आग लगाना शुरू कर दिया था. इस आग ने ना जाने कितने के अरमानों को जलाकर राख कर दिया था.


हाल ही में 1996 क्रिकेट विश्व कप में शामिल भारतीय खिलाड़ी विनोद कांबली ने यह कहकर सनसनी मचा दी कि विश्व कप 1996 का भारत और श्रीलंका के बीच हुआ सेमीफाइनल मैच फिक्स था. कांबली ने तत्कालीन कप्तान मुहम्मद अजहरुद्दीन सहित उस टीम के अन्य बल्लेबाजों और मैनेजर के इस फिक्सिंग में शामिल होने की बात कही है.


Sachin Tendulkar क्या हुआ था उस मैच में ?

13 मार्च, 1996 को कोलकाता में हुआ दिन और रात का वह मैच आज भी लोगों को अच्छी तरह से याद है. कोलकाता के खचाखच भरे ईडेन गार्डन में भारत ने टास जीतकर क्षेत्ररक्षण का फैसला कर सभी को चौंका दिया था. भारत ने टॉस जीता तो उस समय कप्तान अजहरुद्दीन के पास मौका था कि वह पूरी सीरीज में फॉर्म में चल रहे सचिन का फायदा उठा पहले बल्लेबाजी करते पर उन्होंने फील्डिंग का फैसला किया. नतीजन  अर्जुन रणतुंगा की कप्तानी वाली श्रीलंकाई टीम ने 251 रन का स्कोर बनाया. लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम 35 ओवर के बाद आठ विकेट के नुकसान पर जब 120 रन बनाकर हार की ओर बढ़ रही थी, ईडेन के दर्शकों ने हाहाकार मचा दिया. इसके बाद मैच नहीं हो सका और मैच रेफरी ने श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया. बाद में श्रीलंका ने फाइनल में आस्ट्रेलिया को हराकर खिताब अपने नाम किया था.


भारत की ओर से सचिन तेंदुलकर ने सर्वाधिक 65 रन बनाए थे, जबकि कांबली 10 रन बनाकर नाबाद रहे थे. बेहद चौंकाने वाला तथ्य यह भी रहा कि एक समय टीम का स्कोर एक विकेट पर 98 रन था, लेकिन तेंदुलकर के आउट होने के बाद सात विकेट महज 22 रन के अंतराल पर आउट होते चले गए. अजहरुद्दीन और अजय जडेजा बिना रन बनाए पवेलियन लौट गए थे.


Fire in match1 विकेट पर 98 रन और उसके बाद 22 रन के अंदर सात विकेट गिरना अपने आप में अटपटा लगता है. सचिन क्या आउट हुए सब ‘आया राम गया राम’ हो गए. इस एक मैच ने भारतीय खिलाड़ियों का सर नीचा कर दिया था. किसी की हिम्मत नहीं थी कि हार के बाद वह दर्शकों का सामना कर सके. जहां कांबली रोकर पवैलियन लौटे तो वहीं दर्शकों ने भी आग जलाकर अपना रोष प्रकट किया था.


इस एक मैच ने साफ कर दिया था कि भारत में क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं बल्कि भावनाओं से जुड़ा एक धर्म है. हालात ऐसे थे कि अगर मैच कुछ देर और चलता तो मैदान पर मार-काट भी हो सकती थी.


भारत ने 1996 के विश्व कप के सभी मैचों में अच्छा क्रिकेट खेला था और वह विश्व कप जीतने की तरफ बढ़ भी रहा था पर सचिन के आउट होने के बाद भारतीय टीम बिखर गई. इस एक मैच ने विनोद कांबली का ना सिर्फ कॅरियर बर्बाद कर दिया था बल्कि सचिन के सपनों को भी तोड़ दिया था.


दर्शकों के बवाल के बाद रोते हुए पवेलियन को लौटते कांबली का चेहरा आज भी लोगों के जेहन में है. इस मैच के बाद उनका कॅरियर लगभग खत्म हो गया था.


क्या सच में हुआ था मैच फिक्स ?

क्रिकेट असंभावनाओं का खेल है. यहां कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता. लेकिन ऐसे क्षण भी होते हैं जब मैच के दौरान खिलाड़ियों का हाव-भाव शक पैदा करता है. इस मैच को देखकर भी लगता है कि दाल में कुछ तो काला था. अब वह काला क्या था इसकी जांच होगी तभी पता चलेगा कि आखिर वह था क्या.


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