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यह हार तो पक्की थी!

भारत का विदेशी धरती पर शर्मनाक प्रदर्शन जारी है और पर्थ के वाका पर तेज गेंदबाजों के आगे दिग्गज बल्लेबाजों ने ढाई दिन में ही आत्मसमर्पण कर दिया. तीसरे दिन लंच के तुरंत बाद सिर्फ आठ गेंदों में चार विकेट खो देने से भारत न सिर्फ तीसरा टेस्ट मैच एक पारी और 37 रन से हार गया बल्कि सीरीज भी 0-3 से गंवा दिया. आस्ट्रेलिया ने मेलबर्न और सिडनी में पहले दो मैच चौथे दिन जीता था लेकिन पर्थ में वह एक तरह से सात सत्र यानी ढाई दिन में ही जीत दर्ज कर गया.


भारत की पहले दिन ही हार तय हो गई थी जब उसकी टीम 161 रन पर सिमट गई. डेविड वार्नर [180] और एड कोवान [74] के बीच पहले विकेट के लिए 214 रन की साझेदारी के बावजूद आस्ट्रेलिया को 369 रन पर रोककर उमेश यादव [5/93] की अगुवाई में भारतीय गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन बल्लेबाज फिर से सब कुछ मटियामेट कर गए. पर्थ में मिली हार भारत की विदेशी धरती पर लगातार सातवीं हार है. यह पिछले 42 साल में पहला मौका है जबकि भारत ने विदेश में लगातार सात मैच गंवाए. इस सीरीज में सिडनी के बाद दूसरी बार भारत को पारी से हार का सामना करना पड़ा.


Indian Trimurti in Cricket मनमौजी व्यवहार बना हार की वजह

इंग्लैण्ड दौरे की तरह इस बार भारतीय खिलाड़ी यह बहाना भी नहीं मार सकते कि उन्हें प्रैक्टिस का मौका नहीं मिला क्यूंकि भारतीय टीम पहला टेस्ट मैच शुरू होने से करीब दो हफ्ते पहले वहां पहुंच गई थी. कुछ सीनियर खिलाड़ी तो काफी पहले चले गए थे. खिलाडि़यों ने जो कुछ मांगा, उन्हें वह सब दिया गया. लेकिन समय होने के बाद भी टीम इंडिया आस्ट्रेलियाई टीम को कम आकंती रही और मौज-मस्ती करने में व्यस्त रही. कोई मजे से गो-कार्टिंग के मजे ले रहा था तो कोई समुद्र के किनारे अपना समय बिता रहा था. हार का तो जैसे किसी को कोई गम ही नहीं था.


वहीं दूसरी ओर सीरीज से पहले ऑस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों की जमकर टांग खींची जा रही थी, लेकिन वे सिर्फ सिर नीचे किए अभ्यास, अभ्यास और सिर्फ अभ्यास कर रहे थे. वे क्रिसमस पर सिर्फ एक दिन की छुट्टी पर गए, लेकिन अगले दिन लंच के समय दोबारा वापस आ गए और फिर शुरू हो गए.


2003-04 में सौरव गांगुली के नेतृत्व में टीम दौरे पर आई थी और 2007-08 में अनिल कुंबले की अगुआई में. दोनों ही दौरों पर भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन किया. कुल मिलाकर, हाल में उनकी असफलताओं के बावजूद विदेशी सरजमीं पर भारतीय टीम का संघर्ष का इतिहास है. यह बहुत स्पष्ट था कि भारत पर्थ में असहज महसूस करेगा, लेकिन इस तरह के सफाए की उम्मीद किसी को नहीं थी.


कब होगा यह सपना पूरा

आस्ट्रेलिया में 65 सालों में पहली बार सीरीज जीतने का ख्वाब पूरा करने के इरादे से निकली भारतीय टीम अति आत्मविश्वास की शिकार हो गई. उसने सीरीज की शुरूआत में यह कहना शुरू कर दिया था कि आस्ट्रेलियाई टीम नई है और उसमें अनुभव की कमी है. लेकिन सीरीज के पहले ही मैच में आस्ट्रेलिया के नए और पुराने खिलाड़ियों ने मिलकर भारत को धूल चटा दी और यह क्रम उन्होंने तीनों मैच में जारी रखा.


चौथा और अंतिम टेस्ट मैच 24 जनवरी से एडिलेड में खेला जाएगा. भारत पर अब पिछले साल इंग्लैंड दौरे की तरह 4-0 से व्हाइटवाश का खतरा मंडरा रहा है.

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