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क्या अब बांग्लादेश बनेगा किंग: Rise of a New Champion

Bangladesh: New Asian Cricket Giant

हर वह इंसान जो शोहरत की ऊंचाइयों पर जाता है उसकी शुरूआत शून्य से ही होती है. क्रिकेट का खेल भी इसी तथ्य को ही सही मानता है. कल तक जो आस्ट्रेलियाई टीम विश्व क्रिकेट चैंपियन बनी बैठी थी आज उसे वेस्टइंडीज से भी हारना पड़ रहा है. भारत, पाकिस्तान और लंका जैसी क्रिकेट विश्व कप चैंपियन टीमों ने शायद ही कभी सोचा था कि उनकी टीमों को एक ऐसी टीम भी खतरा महसूस कराने लगेगी जिसे कभी क्रिकेटमें बच्चे का दर्जा दिया जाता था. और यह बच्चा टीम है बांग्लादेश.


BangladeshBangladesh Cricket Team

बांग्लादेश ने जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा था तब शायद ही किसी को यह अंदाजा रहा होगा कि एक दिन एशिया में यह टीम भी अपने दबदबे को साबित करने उतरेगी. जाहिर है कि अगले विश्व कप में बांग्लादेश भी सपने देखेगा. कौन भूल सकता है 2007 का वह विश्व कप जब भारतीय टीम को श्रृंखला से बाहर करने में बांग्लादेश ने अहम रोल अदा किया था.

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B'deshWINबांग्लादेश का अस्तित्व

1986 के एशिया कप में जब बांग्लादेश ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा तब ना तो उसे जीत नसीब हुई थी और ना ही सम्मान लेकिन हां, इतना जरूर हुआ था कि एक देश फुटबाल से हटकर भी कुछ सोचने लगा था. अब वो एक ऐसे खेल की तरफ रुख कर चुके थे जिसके लिए वो बने थे. उपमहाद्वीप के खून में क्रिकेट बसता है और यह भी उसका एक अंश था. बांग्लादेश क्रिकेट टीम ने 1986 के बाद से तकरीबन 13 साल तक संघर्ष किया और आखिरकार जब वह पहली बार 1999 विश्व कप में क्वालीफाई कर सकी तब उसे अहसास हुआ कि उनमें कुछ बड़ा करने की क्षमता जरूर है. हुआ भी ठीक वैसा ही और उसने टूर्नामेंट में फाइनलिस्ट रहने वाली पाकिस्तानी टीम को ग्रुप स्टेज के मैच में हराकर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया. उस जीत ने यह साबित कर दिया था कि उनके पास क्रिकेट की सोच अच्छी है, बस मेहनत और अच्छी कोचिंग की जरूरत है.


क्रिकेट और किस्मत कनेक्शन

यहां भी उनकी किस्मत ने साथ दिया और 2007 विश्व कप में उन्हें वाटमोर के रूप में ऐसा कोच मिला जिसने एक बार फिर इस टीम को सुर्खियां दीं. उस विश्व कप में बांग्लादेश ने भारत को झटका दिया और ऐसा झटका दिया कि रातों रात एक दिग्गज टीम की धज्जियां उड़ गईं. भारत ना सिर्फ व‌र्ल्ड कप से बाहर हुआ बल्कि देश लौटकर कप्तान द्रविड़ को भी अपनी कप्तानी छोड़नी पड़ी. 1999 में पाकिस्तान और 2007 में भारत को बड़े मंच पर हराने और 2000 में टेस्ट का दर्जा हासिल करने वाली टीम को फिर उलटफेर की टीम माना जाने लगा.


एशिया कप 2012

फिर आया साल 2012 जब एशिया कप उसके घर में ही था, टीम में बड़े बदलाव हो चुके थे, उनका सचिन तेंदुलकर यानी मोहम्मद अशरफुल भी इस बार टीम का हिस्सा नहीं था लेकिन दबाव से उठते हुए इस टीम ने ना सिर्फ 2011 के चैंपियन भारत को शिकस्त दी बल्कि पूर्व विश्व कप चैंपियन और 2011 विश्व कप फाइनलिस्ट लंका को भी पस्त कर दिया. इसके बाद उसका मुकाबला फाइनल में मजबूत और इन फार्म टीम पाकिस्तान से हुआ. यहां भी वो अपना दबदबा कायम करने में कामयाब रहे बस आखिर में आकर महज दो रन से चूक गए.


बेशक वो एशिया कप जीतकर इतिहास नहीं रच पाए लेकिन उन्होंने दिल करोड़ों जीते. अगले विश्व कप में जब बाकी टीमें खिताब की जंग के लिए मैदान पर उतरेंगी तब सभी को जिस टीम से सबसे बड़ा खतरा होगा वो बांग्लादेश ही होगी. क्योंकि पहले तो ये टीम टूर्नामेंट से बाहर करने या फिर बड़ा उलटफेर करने का दम रखती थी लेकिन अब उसके सपनों और उसके मकसद में इजाफा हो चुका है. नजर अब उनकी खिताब पर ही होगी क्योंकि फर्श से अर्श तक का ये सफर उन्होंने ऐसे ही तय नहीं किया.



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