चेन्नई के एम. ए. चिदंबरम स्टेडियम में बैठे हजारों दर्शक इस बात के गवाह बन चुके हैं कि उन्होंने एक ऐसे खिलाड़ी को मैदान पर खेलते हुए देखा जिसके बारे में कुछ महीने पहले माना जाता था कि शायद ही यह खिलाड़ी अतंरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में वापसी कर पाए. कैंसर को पटखनी देकर अतंरराष्ट्रीय मैच में प्रदार्पण करने वाले भारत के धुरंधर बल्लेबाज युवराज सिंह ने यह साबित कर दिया कि अगर दिल में जज्बा हो तो असंभव काम को भी संभव बनाया जा सकता है.
युवराज सिंह ने अतंरराष्ट्रीय मैच में शानदार वापसी का आगाज न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए दूसरे टी-20 मैच से किया. इस मैच में युवराज गेंदबाजी, क्षेत्ररक्षण तथा बल्लेबाजी तीनों में सक्रिय दिखाई दिए. उन्होंने 26 गेंद में एक चौके और दो छक्कों की मदद से 34 रन की पारी खेलने के अलावा एक कैच भी लपका. उनकी बॉड़ी लैंग्वेज से दूर-दूर तक यह संकेत नहीं मिल रहा था कि वह इतनी बड़ी बीमारी को मात देकर मैदान पर उतरे हैं.
Read: T20 Cricket Match: युवराज सिंह बनाम न्यूजीलैंड
हालांकि युवराज को इस बात की निराशा होगी कि खेल के तीनों विभागों में उम्दा प्रदर्शन के बावजूद वह टीम को जिताने में कामयाब नहीं हो सके और इस रोमांचक मुकाबले में भारत को न्यूजीलैंड के हाथों एक रन से शिकस्त का सामना करना पड़ा. जैसा कि यह पहले से ही तय हो चुका था कि इस मैच को लोग युवराज सिंह की वापसी के तौर पर देखेंगे. मैच के हारने के बाद भी यही हुआ. लोगों ने हार पर निराशा जाहिर न करते हुए इस बात कि खुशी व्यक्त की कि युवराज सिंह की वापसी हो गई है. इसका फायदा आने वाले टी-20 विश्वकप में जरूर मिलेगा.
युवराज सिंह के इस बेहतर आगाज के लिए उन लोगों को भी श्रेय जाता है जिन्होंने इस खिलाड़ी के बुरे वक्त में प्रेरणा स्रोत का काम किया. जिन्होंने युवराज की तरह किसी गंभीर रोग या घायल होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और किसी योद्धा की भांति रणभूमि में फिर लौटे.
लांस आर्मस्ट्रांग
आमतौर पर युवराज साइकिलिस्ट लांस आर्मस्ट्रांग से ही प्रेरणा लेते हैं, जो खुद कैंसर को मात देकर निकले थे. आर्मस्टांग को साल 1999 से 2005 के बीच लगातार टूर दि फ्रेंच साइकिल प्रतियोगिता को जीतने का गौरव हासिल है. कैंसर से पीडि़त होने के बावजूद आर्मस्ट्रांग ने कभी हार नहीं मानी.
नवाब पटौदी
भारत के महान क्रिकेटर और पूर्व कप्तान नवाब पटौदी की एक कार हादसे में दायीं आंख की रोशनी जाती रही थी. पर टाइगर की तरह से विपरीत हालातों में लड़ने वाले पटौदी ने हार नहीं मानी. उन्होंने एक आंख से बल्लेबाजी करते हुए टेस्ट मैचों में 6 शतक और 16 अर्धशतक ठोंके. उनके बारे में कहा जाता है कि वह जब बल्लेबाजी करते थे तब उन्हें दो गेंदें अपनी तरफ आती हुई दिखती थीं.
डेडिड बेकहम
इंग्लैंड के महान फुटबॉलर डेडिड बेकहम जिन्हें हालांकि कैंसर जैसा जानलेवा रोग तो नहीं है लेकिन वे दमा के रोगी हैं. इसके बावजूद उन्होंने फुटबाल के मैदान पर नई बुलंदियों को छुआ.
गोल्फर बेन होगन
अमेरिका के महान गोल्फर बेन होगन साल 1949 में एक सड़क हादसे में बुरी तरह से घायल हो गए थे. होगन को शरीर के विभिन्न अंगों में चोटें आई थीं. करीब सोलह हफ्ते तक वह जिंदगी और मौत के बीच झूलते रहे थे. पर सौभाग्यवश कुछेक महीनों तक अस्पताल में इलाज करवाने के बाद उनकी सेहत सुधरने लगी. उसक बाद वह फिर से मैदान में कूद पड़े. होगन ने 1950 के य़ूएस ओपन गोल्फ समेत अनेक गोल्फ मुकाबले जीते.
टेनिस खिलाड़ी मार्टिना नवरातिलोवा
महान टेनिस खिलाड़ी मार्टिना नवरातिलोवा को कौन भूल सकता है जो कैंसर को मात देने के बाद न केवल टेनिस में सक्रिय हैं बल्कि आइस हाकी भी खेलती हैं.
अप्रैल में जब कैंसर की लड़ाई लड़कर अमरीका से भारत लौटे युवराज सिंह को उस समय हर कोई सलाह दे रहा था कि अभी उन्हे क्रिकेट को भूल जाना चाहिए लेकिन जिस खिलाड़ी के रग-रग में क्रिकेट का रंग चढ़ा हुआ हो वह भला कैसे क्रिकेट को भूल सकता है. उनका कैंसर को शिकस्त देकर मैदान पर शानदार उपस्थिति दर्ज करवाना इस बात का गवाह है कि उन्हें अभी लंबी पारी खेलनी है.
Read: राहुल गांधी के लिए प्रधानमंत्री पद का रास्ता बेहद कठिन है !!
Read Comments