करोड़ो दिल की धड़कन बन चुके भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को अब लगता है कि वह क्रिकेट से थक चुके हैं. तभी तो उन्होंने एक अंग्रेज़ी समाचार चैनल पर साक्षात्कार देते हुए कहा कि “मैं 39 साल का हो गया हूं और मुझे नहीं लगता कि मेरे अंदर अब बहुत क्रिकेट बचा है. लेकिन ये सब मेरी शारीरिक क्षमता और मानसिक शक्ति पर निर्भर करता है. जब मुझे लगेगा कि मैं वो नहीं दे पा रहा हूं जिसकी मुझसे उम्मीद है तब मैं चीज़ों को नए सिरे से देखना शुरू करूंगा”. वैसे सचिन तो अभी संन्यास नहीं ले रहे हैं लेकिन आने वाले नवंबर महीने में संन्यास को लेकर बड़े फैसले ले सकते हैं.
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सचिन का यह बयान उस समय आया है जब भारतीय क्रिकेट में अनुभव की कमी दिख रही है. भारतीय टीम में एक-दो खिलाड़ियों को छोड़ दें तो ऐसा कोई भी टीम में नहीं है जो भारत की क्रिकेट संस्कृति को आगे ले जाने का भरोसा दिला सके. हाल में हुए टी20 और पिछले एक साल का प्रदर्शन देखें तो भारतीय टीम ने अपने क्रिकेट के प्रशंसकों को काफी निराश किया है. टी20 और एकदिवसीय मैचों में टीम की हालत कुछ हद तक सही कही भी जा सकती है लेकिन जब बात क्रिकेट के असली स्वरूप यानी टेस्ट की होती है तो वहां टीम पूरी तरह से फिसड्डी साबित हो रही है. टेस्ट में जूनियर से लेकर सीनियर खिलाड़ियों का लचर प्रदर्शन लगातार जारी है.
अब जब कि भारत के दूसरे खिलाड़ियों (राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण) की तरह सचिन भी अपने बीस साल से अधिक क्रिकेटिंग कॅरियर से संन्यास लेने का मन बना रहे हैं. तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत में ऐसा कोई खिलाड़ी है जो सचिन तो नहीं बल्कि उनके रिकॉर्ड के आसपास भी फटक सके? जवाब न में निकलकर आएगा क्योंकि भारतीय क्रिकेट टीम में जो नई पौध निकलकर आ रही है उसे तो देखकर यह नहीं लगता कि वह सचिन की विरासत को आगे बढ़ाएंगे. सचिन न केवल वनडे बल्कि टेस्ट के एक महान खिलाड़ी हैं. उनके रिकॉर्ड बताते हैं कि उन्होंने भारतीय क्रिकेट को कितना कुछ दिया है लेकिन जब बात आज के युवाओं की होती है तो ये खिलाड़ी अपने आप को टी20 और आईपीएल से हटाकर नहीं सोच पाते हैं.
यहां एक बात और….जब सचिन की चर्चा होती है तो क्रिकेट तो कतार में सबसे आगे होता ही है अन्य दूसरी बातें भी हैं जो सचिन को एक महान खिलाड़ी बनाने में अपना योगदान देती हैं. सचिन की सादगी और खेल के प्रति उनका लगातार समर्पण उन्हें अन्य खिलाडियों से काफी अलग करता है. यही वजह है कि सचिन की तारीफ वह लोग भी करते हैं जो सचिन को पहली बॉल पर आउट करना पसंद करते हैं. इसलिए सचिन का विकल्प ढूंढ़ना समुद्र में सुई ढूंढ़ने के समान है जो शायद ही कभी मिल पाए.
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