आने वाले 15 नवंबर से भारतीय टीम इंग्लैड टीम के खिलाफ चार टेस्ट, पांच एकदिवसीय और दो टी20 मैच खेलेगी. इस सीरीज को देखते हुए भारतीय टीम का हाल कुछ इस तरह है कि टीम के सभी सीनियर खिलाड़ी जिनको लेकर माना जा रहा है कि इंग्लैड के खिलाफ घरेलू क्रिकेट मैच में उनकी जगह पक्की है इस समय चैम्पियन लीग में टी20 मैच का लुत्फ उठा रहे हैं. इसमें भारत के सबसे अनुभवी खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर, वीरेंदर सहवाग, कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और चैम्पियन लीग टी20 से बाहर हो चुकी कोलकाता नाइट राइडर के कप्तान गौतम गंभीर हैं. दुर्भाग्य तो देखिए यह सभी खिलाड़ी जो इस लीग में खेल रहे हैं उनका बल्ला चलने का नाम नहीं ले पा रहा है.
आइए जान लेते हैं कि वर्ष 2012 में इन खिलाड़ियों का किस तरह का प्रदर्शन रहा:
सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar)
दुनिया के इस महान खिलाड़ी की जितनी भी तारिफ की जाए कम ही है. लेकिन सचिन तेंदुलकर के सितारे गर्दिश चल रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका में चैम्पियन लीग टी20 मैच सचिन जिस तरह से आउट हो रहे हैं उससे तो उनकी बैंटिग पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. अपने कॅरियर के आखिर मुकाम पर पहुंच चुके सचिन ने इस साल टेस्ट में 9 पारी खेली जिसमें 27.22 की औसत से 245 रन बनाए. इसमें एक अर्धशतक शामिल है. वहीं उनके एकदिवसीय मैचों की बात की जाए तो सचिन ने इसी साल अपने 10 पारियों में 31.50 की औसत से 315 रन बनाए.
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वीरेंदर सहवाग (Virender Sehwag)
ऐसा लग रहा जैसे इस मुल्तान के सुल्तान के अंदर वह सुल्तानियत खो गई है जिसके लिए विश्वभर में जाने जाते हैं. मैच दर मैच खराब प्रदर्शन के कारण वीरेंदर सहवाग लगातार मीडिया की सुर्खियों में बने हुए हैं. टीम और उनके चाहने वाले पिछले एक साल से उनकी ताबड़तोड़ बैटिंग देखने के लिए नजरें गड़ाए हुए हैं. वीरेंदर सहवाग ने इस साल टेस्ट में 9 पारियां खेलीं जिसमें वह महज 252 रन ही बना सके. वहीं एकदिवसीय मैचों की 9 पारियों में वे अब तक 213 रन ही बना सके.
महेंद्र सिंह धोनी (Goutam Gambhir)
आजकल अपनी कप्तानी और टीम में निर्णय लेने की वजह से चर्चा में रहने वाले भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की अगर प्रदर्शन की बात की जाए तो वे काफी फिसड्डी साबित हुए हैं. आईपीएल और चैम्पियन लीग टी20 में बल्ला भले ही न चलता हो लेकिन कप्तानी जरूर चलती है. वहीं अगर भारतीय टीम की कप्तानी की बात की जाए तो वह 2011 विश्वकप के बाद क्रिकेट प्रेमियों को प्रभावित करने में नाकामयाब हुए हैं. धोनी ने इस साल अब तक टेस्ट की 7 पारियों में 256 रन बनाए जबकि एकदिवसीय मैचों में सफल कप्तान माने जाने वाले धोनी ने अब तक 15 मैचों में 411 रन मारे.
गौतम गंभीर (Mahendra Singh Dhoni)
सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर की हालत तो और ज्यादा ही खराब है. ऐसा लगता है जैसे गंभीर की बैटिंग स्टाइल को उनके विरोधियों ने पहचान लिया है. वह जिस भी तरह से खेलते हैं मैदान पर ज्यादा देर तक नहीं टिक पाते हैं. आने वाली सीरीज में वह टीम में उपलब्ध हो पाएंगे यह भी एक सवाल बना हुआ है. गंभीर ने अब तक 9 टेस्ट मैच में 223 रन बनाए हैं जबकि 15 एकदिवसीय मैच में अब तक 677 रन बनाए.
यह तो वह बल्लेबाज हैं जिनका टीम में प्रदर्शन डांवाडोल है. अगर गेंदबाजों की बात की जाए उनकी स्थिति भी काफी दयनीय है. भारतीय सीनियर खिलाड़ियों का इस तरह का प्रदर्शन यह साफ संकेत दे रहा है कि बाजार की आपाधापी में यह कहीं न कहीं क्रिकेट के मूल स्वरूप को नष्ट कर रहे हैं. क्या इन खिलाड़ियों को पता नहीं है कि यह ज्यादा क्रिकेट खेलेंगे तो वह टेस्ट मैच के लिए उपलब्ध नहीं हो पाएंगे. ऐसा क्यों हो रहा है कि यही खिलाड़ी टी20 मैचों के लिए फिट घोषित कर दिए जाते हैं लेकिन जब टेस्ट की बारी आती है तो यह आराम फरमाने लगते हैं. सवाल बीसीआई पर भी उठते हैं कि वह अपने खिलाड़ियों को बड़े मैच खेलने की बजाय उस मैच को खेलने के लिए दबाव डालती है जिसका मुख्य मकसद है पैसा कमाना. ऑउट ऑफ फॉर्म चल रही भारतीय टीम को अगर इस बार इंग्लैंड की मजबूत टीम हराती है तो इससे देश की बहुत ही ज्यादा किरकिरी होगी.
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