अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने एक अहम फैसले में वनडे और टी-20 के बाद अब टेस्ट क्रिकेट मैच को भी दूधिया रोशनी में खेले जाने का निर्णय लिया है. क्रिकेट परिषद का मानना है कि इस तरह के संशोधन से टेस्ट क्रिकेट को और अधिक लोकप्रिय बनाया जा सकता है. अपने इस निर्णय से उन्होंने टेस्ट क्रिकेट का पूरी तरह से बाजारीकरण करने का फैसला किया. उन्होंने टेस्ट के मूल स्वरूप के साथ छेड़छाड़ करके उसे वनडे और टी-20 की तरह रंगीन बनाने की कोशिश की है. हालांकि डे-नाइट मैचों में बॉल किस रंग की होगी, इसका फैसला सदस्य देशों के क्रिकेट बोर्डों पर छोड़ा गया है. इसके अलावा यह भी उन पर निर्भर करेगा कि वे डे-नाइट टेस्ट मैच खेलना चाहते हैं या नहीं.
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बाजार इस कदर क्रिकेट पर हावी हो रहा है कि किक्रेट संघों के ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को पैसों के अलावा कुछ और नहीं दिखता. इस तरह के बदलाव से अब दर्शकों को वह पांच दिन का संघर्ष देखने को नहीं मिलेगा जिसमें कप्तान से लेकर खिलाड़ी मैच जीतने के लिए कई तरह के गणित लगाते थे. टेस्ट मैच शुरू होने से पहले खिलाड़ी पिच के मिजाज को समझते थे. सुबह कैसा पिच होगा, दोपहर आते-आते उस पिच के मिजाज में क्या बदलाव आएगा तथा शाम ढलते-ढलते उस पिच पर खेलने लायक क्या बचेगा अब शायद इस तरह के समीकरण देखने को नहीं मिलेंगे.
हमें नहीं भूलना चाहिए कि टेस्ट के इसी फॉर्मेट से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को सर डॉन ब्रेडमैन, सचिन तेंदुलकर और ब्रायन लारा जैसे बल्लेबाज मिले तो शेन वॉर्न और मुथैया मुरलीधरन जैसे महान गेंदबाज. क्रिकेट में खिलाड़ियों की पहचान टेस्ट मैच के उन पांच दिनों में देखने को मिलती है जहां वह मैच जीतने के लिए पूरी जान लगाते हैं. अगर आप टेस्ट के मूल स्वरूप को बदल चुके हैं तो उसे टेस्ट न नाम रखकर कुछ और नाम दीजिए. क्रिकेट टेस्ट मैचों के दिन-रात के मुकाबले आयोजित किए जाने से इन मैचों में इस्तेमाल की जाने वाली लाल गेंदों के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया है. अब हम लाल गेंद की जगह किसी और रंग का गेंद मैदान पर देख सकते हैं और आने वाले समय में हम यह भी देखेंगे जब टेस्ट क्रिकेट के खिलाड़ी भी ब्रांडों के साथ रंगीन कपड़ों में दिखेंगे.
एक तरफ जहां टेस्ट में इस तरह के बदलाव का विरोध देखा गया है तो कुछ लोगों ने टेस्ट मैच को लोकप्रिय बनाने के लिए इसी एक सही कदम बताया है. क्योंकि टी20 और क्रिकेट क्लब के आ जाने से टेस्ट मैच कहीं न कहीं हाशिए पर चला गया था. तब इसके अस्तित्व को लेकर भी सवाल उठाए जाने लगे थे. अब आईसीसी के इस तरह के निर्णय से न केवल टेस्ट मैच लोकप्रिय होगा बल्कि इसे हाशिए पर जाने से भी बचाया जा सकता है.
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