जिस खिलाड़ी में अनुशासन और आत्मसंयम न हो वह खिलाड़ी ज्यादा दिनों तक अपने कॅरियर को आगे खींच नहीं सकता. फील्ड पर अपने गुस्से के लिए बदनाम क्रिकेटर प्रवीण कुमार एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं. बीसीसीआई कॉरपोरेट लीग में ओएनजीसी और इनकम टैक्स के मैच के दौरान 4 फरवरी को प्रवीण मैदान पर हाथपाई करने पर उतारू हो गए. उन्होंने विपक्षी बल्लेबाज को गालियां भी दीं. उनके इस व्यवहार के चलते मैच रेफरी ने उन्हें कोड ऑफ कंडक्ट के उल्लंघन का दोषी करार देते हुए क्रिकेट खेलने के लिए मानसिक रूप से अनफिट बता दिया.
प्रवीण कुमार का यह बर्ताव देखकर कोई हैरानी नहीं होती क्योंकि इससे पहले भी वह अपने इसी चरित्र की वजह से विवादों में रहे हैं. भद्दे इशारे करना, चिल्लाकर बोलना, गालियां देना उनकी फितरत में शामिल हो चुका है. वह खिलाड़ियों और अंपायरों पर तो भड़कते ही हैं मैदान के बाहर प्रशंसकों को गालियां देने से भी नहीं चूकते. एक मैच में तो उन्होंने दर्शकों को स्टम्प उठाकर मारने का इशारा किया.
वैसे भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों में केवल प्रवीण कुमार नहीं हैं जो इस तरह का बर्ताव करते हैं. स्पिन गेंदबाज हरभजन सिंह के गुस्से भी काफी चर्चा बटोरते हैं. आईपीएल के पहले संस्करण में श्रीशांत को मारा गया चांटा कौन भूल सकता है. आईपीएल के पिछले संस्करण में जब उन्हें मुंबई इंडियंस टीम का कप्तान बनाया गया था तब एक मैच में अंपायर के फैसले से नाराज भज्जी ने खुलेआम उस फैसले का विरोध किया. अपनी खराब गेंदबाजी का गुस्सा हरभजन अपने फिल्डरों पर आए दिन उतारते रहते हैं.
गुस्से के मामले में गेंदबाज श्रीशांत का बर्ताव भी सही नहीं है. वह अपने कॅरियर में गेंदबाजी के लिए कम और उलटे-सीधे व्यवहार के लिए अधिक जाने जाते हैं. खिलाड़ियों को घूरने और गाली देने की वजह से वह काफी विवाद में रहे हैं. श्रीशांत के अलावा बल्लेबाज रोहित शर्मा कभी-कभी अपना आपा खो बैठते हैं. एक मैच में तो उन्होंने गुस्से में स्टंप्स को पैरों से मारकर गिरा दिया था.
अनुशासन तोड़ने में केवल अनुभवी खिलाड़ी ही आगे नहीं हैं, आजकल के नए खिलाड़ी भी जिन्हें टीम में पहली बार खेलने का मौका दिया जाता है वह भी कभी-कभार अपना आपा खो बैठते हैं. खिलाड़ियों का इस तरह का बर्ताव उनके कॅरियर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. भले ही टीम में उन्हें बेहतर खिलाड़ी का दर्जा मिला हुआ है लेकिन जहां आत्मसंयम का अभाव होता है वहां पर इन खिलाड़ियों को कोई याद नहीं करता.
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