कभी क्रिकेट पर राज करने वाली आस्ट्रेलियाई टीम आज भारतीय खिलाड़ियों के सामने घुटने टेक रही है. चेन्नई के बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया (India Crush Australia in Hindi) को हैदराबाद क्रिकेट टेस्ट मैच में भी एक पारी और 135 रनों से हराकर बड़ी जीत हासिल की है. भारतीय स्पिन गेंदबाज आर. अश्विन और रवींद्र जडेजा की घातक गेंदबाजी के आगे ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की एक भी नहीं चल पाई और खेल के चौथे दिन पूरी टीम लंच से पहले ही 131 रन बनाकर ऑलआउट हो गई. दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलियाई टीम का कोई भी खिलाड़ी 50 के आंकड़े को भी पार नहीं कर पाया.
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पिछले दो मैचों की चार पारियों पर नजर डालें तो ऑस्ट्रेलियाई टीम को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे यह टीम भारत में मैच जीतने नहीं बल्कि किसी भी तरह सीरीज को निकालने आई हो. इस टीम के अंदर पहले जैसी जीत की वह भूख दिखाई नहीं दे रही जो कभी हुआ करती थी. अगर आस्ट्रेलिया टीम की हार की वजहों को तलाशें तो वह इस प्रकार हैं:
अनुभव की कमी: टीम में ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो नए हैं और जिनके पास भारत में खेलने का अनुभव नहीं है. वह भारत के गेंदबाजों खासकर स्पिन गेंदबाजों से परिचित नहीं हैं. तेज पिचों पर खेलने वाले यह बल्लेबाज भारतीय स्पिनरों के आगे असहाय दिख रहे हैं.
कमजोर भारतीय पिच: आस्ट्रेलिया पिचों के मुकाबले भारतीय बेहद ही कमजोर हैं, यहां पर न तो ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के लिए कुछ है और न ही बल्लेबाजों के लिए.
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कप्तान माइकल क्लार्क पर सारा दारोमदार: ऑस्ट्रेलियाई टीम में एक दो खिलाड़ी हैं जिनके पास पर्याप्त अनुभव है. उनमें टीम के कप्तान माइकल क्लार्क प्रमुख हैं. अगर देखा जाए तो अब तक की पारियों में केवल माइकल क्लार्क ही हैं जो अपने बल्ले से थोड़े बहुत कमाल दिखा रहे हैं बाकी सभी बल्लेबाज और गेंदबाज टीम की शोभा बढ़ा रहे हैं.
स्पिन गेंदबाजों की कमी: एक दौर था जब आस्ट्रेलियाई टीम के पास तेज गेंदबाजों के साथ अच्छे स्पिनर थे. शेन वॉर्न को कौन भूल सकता है लेकिन आज की बात की जाए टीम में ऐसा कोई स्पिनर नहीं है जो भारतीय बल्लेबाजों को रन बनाने से रोक सके.
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