खिलाड़ी वही होता है जो परिस्थितियों के हिसाब से अपने खेल में बदलाव कर टीम को विपत्तियों से बाहर लाए. लेकिन लगता है कि भारत के सलामी बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग (Virender Sehwag dropped in Hindi) यह समझना नहीं चाहते. उनके लिए तो मैच वही है जिसमें रफ्तार और ताबड़तोड़ बल्लेबाजी हो लेकिन इस दौरान वह भूल जाते हैं कि उनका यही पारंपरिक ढंग उन्हें कमजोर से कमजोर गेंद पर लापरवाह शॉट लगाकर आउट कर देता है.
इन्होंने केवल निर्दोषों की पैरवी की
सलामी बल्लेबाज के रूप में समस्या बन चुके वीरेंदर सहवाग एकदिवसीय टीम के बाद अब टेस्ट टीम में जगह बनाने के लिए जूझ रहे हैं. वजह साफ है बल्लेबाज के तौर पर उनका लगातार खराब प्रदर्शन. वर्तमान सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे और चौथे क्रिकेट टेस्ट के लिए वीरेंदर सहवाग को टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. सहवाग को बाहर किए जाने के बाद बल्लेबाज मुरली विजय के साथ दूसरे ओपनर अजिंक्य रहाणे या फिर शिखर धवन ओपनिंग कर सकते हैं.
सहवाग से पहले उनके ही ओपनिंग पार्टनर गौतम गंभीर को भी खराब प्रदर्शन की बदौलत टीम से बाहर कर दिया गया था. चयनकर्ताओं के इस सलेक्शन ने यह साफ कर दिया है कि भारतीय टीम में वही खिलाड़ी रुक सकता है जो टीम में रहकर बेहतर प्रदर्शन करे अब वह चाहे वीरेंदर सहवाग हों या फिर महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ही क्यों न हों.
अपने कॅरियर के आखिरी स्टेज पर जब कोई खिलाड़ी अपने खराब प्रदर्शन की बदौलत टीम में जगह नहीं बना पाता तो यह साफ संकेत है कि वह जल्द ही दबाव या फिर किसी अन्य वजह से अपने खेल से संन्यास ले सकता है. पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली, राहुल द्रविड़ और वी.वी.एस. लक्ष्मण ने भी ऐसे दबाव के कारण ही क्रिकेट से संन्यास लिया था. लेकिन जानकार मानते हैं कि सहवाग पर अभी इस तरह का कोई दबाव नहीं है. वह तो टीम के ऐसे बल्लेबाज हैं जो कभी भी हवा के रूख को अपनी ओर मोड़ सकते हैं.
सहवाग की बल्लेबाजी के कायल यह मानते हैं कि भले ही सहवाग आज चल नहीं पा रहे हों लेकिन वह टीम के अनूठे बल्लेबाज हैं. उनकी खूबी यही है कि जब रन बनाना शुरू करते हैं तो फिर रुकते ही नहीं. इस दौरान वह पहले शतक फिर दोहरा और तिहरे शतक तक इस अंदाज में पहुंचते हैं जैसे बिजली पर सवार हों. यही वजह है कि आज उनका नाम ब्रेडमैन, लारा और क्रिस गेल जैसे खिलाड़ियों के साथ लिया जाता है.
Read:
वीरेंदर सहवाग, सहवाग.
Read Comments