एक दौर था जब क्रिकेट रूपी जंगल में एक ही शेर राज किया करता था वह था आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम (India-Australia Test Cricket in Hindi) . एक टीम के रूप में अपने आप को इसने इस तरह से स्थापित कर रखा था जिसे उखाड़ पाना किसी भी दूसरी टीम के लिए एक सपने जैसा था. लेकिन यह क्या आज यही टीम बगावत पर उतर आई है. जो टीम पूरे विश्वभर में अपने अनुशासन और नैतिकता के लिए जानी जाती थी आज वही टीम एक-दो पराजयों के बाद अपना आपा खो रही है.
पहले दो टेस्ट मैच में हार का सामना कर चुकी भारतीय दौरे पर आई ऑस्ट्रेलियाई टीम ने अपने चार खिलाड़ियों को तीसरे टेस्ट के लिए टीम से निलंबित कर दिया है. निलंबित किए गए खिलाड़ियों में उप-कप्तान और सलामी बल्लेबाज शेन वॉटसन, मिचेल जॉनसन, उस्मान ख्वाजा और जेम्स पैटिन्सन शामिल हैं. इन खिलाड़ियों को टीम प्रबंधन का आदेश ना मानने की वजह से बाहर का रास्ता दिखाया गया है.
इस समय ऑस्ट्रेलियाई टीम बुरे दौर से गुज़र रही है. जो टीम पहले दूसरों के घरों में जाकर उसे धूल चटाती थी आज वही टीम अपने ही घर में हथियार डाल रही है. भारत दौरे से पहले ऑस्ट्रेलियाई टीम पिछली सीरीज दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपनी ही जमीन पर हारी थी. टीम में ऐसे कम ही खिलाड़ी बचे हैं जो अपना 100 फिसदी दे पा रहे हैं. आत्मविश्वास की बहुत कमी देखने को मिल रही है.
यूं ही कोई खतरा मोल नहीं ले सकता
वैसे आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का बुरा वक्त उस समय ही आ गया था जब महान खिलाड़ी रिकी पोंटिंग की टीम में शेन वार्न, एडम गिलक्रिस्ट, ग्लेन मैकग्राथ और मैथ्यू हैडेन जैसे बेहतरीन खिलाड़ी थे. यह वही खिलाड़ी थे जिन्होंने न केवल आस्ट्रेलियाई टीम को एक नई ऊंचाई प्रदान की बल्कि इन्हीं खिलाड़ियों की बदौलत पोंटिंग की कप्तानी भी चमक उठी. बतौर कप्तान पोंटिंग को आस्ट्रेलियाई टीम को 47 टेस्ट मैच (एक विश्व रिकॉर्ड है) जिताने का श्रेय जाता है. उनके इस जीत में एडम गिलक्रिस्ट, ग्लेन मैकग्राथ जैसे खिलाड़ियों का मुख्य योगदान था.
लेकिन कहते हैं न कि हर वक्त एक जैसा नहीं होता. आस्टेलिया टीम की जान माने जाने वाले इन बड़े खिलाड़ियों ने जैसे ही संन्यास लेना शुरू किया टीम पूरी तरह से ढलान की ओर जाने लगी. पोंटिंग के संन्यास तक तो स्थिति और भी गंभीर हो चुकी थी. टीम मैच पर मैच हार रही थी जिसकी वजह से खिलाड़ी पूरी तरह से हताश होते जा रहे थे. आज अगर आस्ट्रेलियाई टीम लगातार हार की वजह से आपा खो रही है तो उसके पीछे वह सुनहरा दौर था जब आस्ट्रेलिया को हार बहुत ही मुश्किल से नसीब होती थी.
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