Menu
blogid : 7002 postid : 647

वह पांच जिन्होंने भारत को जीत दिलाई

बात पिछले महीने की है जब इंडियन प्रीमियर लीग का छठा संस्करण समाप्त होने के बाद भारतीय टीम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में चैंपियन्स ट्रॉफी 2013 के लिए इंग्लैंड जाने की तैयारी कर रही थी. उस समय पूरा माहौल सट्टेबाजी की खबरों से सराबोर था. देश उस समय इस बात का जवाब मांग रहा था कि कब तक उसे किक्रेट, जिसे वह धर्म की तरह पूजता है, से धोखा मिलेगा. फिलहाल अब तक इसका जवाब तो नहीं मिल पाया है लेकिन हां, भारतीय टीम ने जिस तरह से अब तक चैंपियन्स ट्रॉफी में प्रदर्शन दिखाया है उससे तो साफ है कि क्रिकेट के चाहने वाले इतनी जल्दी अपने धर्म को भुला नहीं सकते.


indian team sri lankaचैंपियन्स ट्रॉफी में अभ्यास मैच से लेकर सेमीफाइनल तक भारतीय टीम ने आलराउंडर की तरह प्रदर्शन किया. अब तक खेले गए सभी मुकाबलों में बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण में टीम ने खुद को साबित किया है. आज जिस तरह की युवा टीम कप्तान धोनी को मिली है इससे पहले शायद ही भारत के किसी कप्तान को ऐसी टीम मिली हो. श्रीलंका के साथ गुरुवार को खेले गए मुकाबले में भारतीय टीम ने हर एक विभाग में अपना सौ फीसदी दिया. यही वजह रहा कि सोफिया गार्डन्स स्टेडियम में खेले गए दूसरे सेमीफाइनल मुकाबले में भारत ने श्रीलंका को 8 विकेट से हराकर बड़ी जीत हासिल की. चैंपियन्स ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला 23 जून को भारत और इंग्लैंड के बीच खेला जाएगा.


Read: शोर नहीं मुझे संगीत चाहिए


आइए जानते हैं कि किस वजह से भारतीय टीम अपने विरोधियों के खिलाफ उम्दा प्रदर्शन कर रही है.

क्रिकेट पर लगे दाग को हटाना

टूर्नामेंट से पहले जिस तरह भारतीय क्रिकेट की आलोचना हो रही थी उससे हर किसी को आभास होने लगा था कि कहीं क्रिकेट पर से लोगों का विश्वास न हट जाए. इसी विश्वास को बचाने की जिम्मेदारी भारतीय टीम के युवा कंधों पर थी. जिसमें वह अब तक कामयाब होते दिख रहे हैं.


घातक गेंदबाजी

टूर्नामेंट शुरू होने से पहले हर कोई यह बात कह रहा था कि नए गेंदबाजों को लेकर भारत कैसे मैच में जीत हासिल करेगा. लेकिन अगर देखें कि अब तक जो भी मैच हुए हैं तो उसमें भारतीय गेंदबाजों ने किसी भी टीम को ज्यादा स्कोर खड़ा नहीं करने दिया. सेमीफाइनल के मुकाबले में भी भारत के गेंदबाजों ने श्रीलंका के बल्लेबाजों को खुलकर खेलने का मौका नहीं दिया. टीम के पास भुवनेश्वर कुमार इशांत शर्मा, ऑलराउंडर जडेजा, रविचंद्रन अश्विन और उमेश यादव जैसे गेंदबाज हैं, जिनको देखकर यह कहा जा सकता है अगले कुछ सालों तक चयनकर्ताओं को गेंदबाजी विभाग में चिंता करने की जरूरत नहीं है.


मजबूत शुरुआत

अकसर हम क्रिकेट के विशेषज्ञों को कहते हुए सुनते हैं कि क्रिकेट में किसी भी टीम को जीत हासिल करनी है तो सलामी बल्लेबाजों का चलना बहुत ही जरूरी है. अभ्यास मैच से लेकर सेमीफाइनल तक भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाजों ने अच्छी शुरुआत दी जिसका फायदा आने वाले बल्लेबाजों को मिला जिससे टीम बड़ा स्कोर खड़ा करने में कामयाब रही.


लाजवाब क्षेत्ररक्षण

इस टूर्नामेंट में भारत का कोई भी मैच उठा कर देख लिया जाए तो टीम के युवा खिलाड़ियों ने बल्लेबाजी, गेंदबाजी के साथ-साथ फील्डिंग के क्षेत्र में उम्दा प्रदर्शन किया है. पिछले मैच में भी जहां श्रीलंका के खिलाड़ी फील्डिंग में लचर प्रदर्शन कर रहे थे वहीं भारतीय टीम ने गलती से भी किसी भी बॉल को छोड़ने की कोशिश नहीं की.


टीम की एक जुटता

सबसे बड़ी बात जो इस टीम में देखी गई वह है कि टीम के सभी खिलाड़ियों ने एकजुटता का परिचय दिया है. ऐसा कोई भी खिलाड़ी नहीं है जिसका कप्तान या दूसरे खिलाड़ियों के साथ शीत युद्ध चल रहा हो. इस टीम में हर कोई अपनी जिम्मेदारी समझ रहा है. यही वजह रही कि टीम ने हर क्षेत्र में अपना बेहतर दिया है.


Tags:चैंपियंस ट्रॉफी, भारत-श्रीलंका के बीच मुकाबला, सेमीफाइनल मुकाबला, महेंद्र सिंह धोनी, टीम इंडिया, India v Sri Lanka, india v sri lanka 2013 champions trophy, semi-final, Indian team, final, Mahindra singh dhoni.



Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh