किसी भी खेल में यदि खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं तो इसके पीछे उनके अपने देश के राजनैतिक और आर्थिक हालात को हम सही ठहरा सकते हैं. जहां पर न केवल स्थायी सरकार रहती है बल्कि खेल और खिलाड़ी के विकास के लिए भी निरंतर काम होते रहते हैं. वहीं जब टीम और खिलाड़ियों का प्रदर्शन लगातार गिरता जाता है तो कहीं न कहीं उस देश की अराजकता और भ्रष्टाचार को हम जिम्मेदार ठहराते हैं. आज अगर जिम्बाब्वे की क्रिकेट टीम अपनी बुरी स्थिति में है तो इसके लिए दोषी वहां की अराजक सरकार है. कुछ इसी तरह की स्थिति अब पाकिस्तान में भी बन चुकी है जिसका असर खिलाड़ियों पर देखने को मिल रहा है.
पाकिस्तानी राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के कप्तान मिसबाह उल हक पिछले कई दिनों से काफी निराश चल रहे हैं. वजह उनकी टीम का लगातार खराब प्रदर्शन. उनकी नाराजगी हाल ही में एक बार फिर देखने को मिली जब आईसीसी ने पाकिस्तान को 2023 तक किसी भी टूर्नामेंट की मेजबानी नहीं मिलने की घोषणा की. वह इसके लिए देश में बढ़ते आतंकवाद को जिम्मेदार मानते हैं. मिसबाह ने हाल में टीम के लचर प्रदर्शन के लिए भी आतंकवाद से प्रभावित देश में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं होने को जिम्मेदार ठहराया.
मिसबाह ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि टीम को बहुत नुकसान हुआ है, क्योंकि पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेली जा रही है और मेरे लिए यह निराशाजनक खबर है कि यहां 2023 तक कोई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट नहीं होगा. आपको बता दें श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर 2009 में पाकिस्तान के एक स्टेडियम के पास अज्ञात बंदूकधारियों ने हमला किया था जिसमें कम से कम छह क्रिकेटर घायल हो गए और पांच पुलिसकर्मी मारे गए. जिसके बाद से पाकिस्तान किसी अंतरराष्ट्रीय मैच की मेजबानी नहीं कर पाया है.
मिसबाह के दुख को समझा जा सकता है. पाकिस्तानी टीम में कभी भी प्रतिभा की कमी नहीं देखी गई. क्रिकेट के जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान में शुरू से ही अराजकता की स्थिति रही है. भ्रष्टाचार और आतंकवाद उसके रग-रग में बस चुका है इसके बावजूद भी पाकिस्तान के पास क्रिकेट में एक विश्वकप का खिताब है. इसके पास हमेशा से ही घातक गेंदबाजों की लंबी फेहरिस्त रही है जो टीम की ताकत समझी जाती है. अगर जल्द से जल्द पाकिस्तान में हालात सामान्य नहीं हुए तो वह दिन दूर नहीं जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से पाकिस्तान का नाम गुम हो जाएगा.
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