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क्या सच में विराट ‘सचिन’ हो सकते हैं ?

नागपुर में आस्ट्रेलिया और भारत के बीच खेले गए एकदिवसीय मैच में भारत ने शानदार जीत दर्ज की. इस जीत में युवा बल्लेबाजों का ज्यादा योगदान रहा. जिस खिलाड़ी की सबसे ज्यादा तारिफ की जा रही है वह टीम के उपकप्तान विराट कोहली है. विराट ने इस मैच में ताबड़तोड़ 61 गेंदों में 100 रन मारे और आस्ट्रेलिया के हाथ से मैच को पूरी तरह से खीच लिया.


virat and sachinइस जीत के बाद एक बार फिर विराट कोहली की तुलना महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर से की जा रही है. आपको बताते चले कि विराट कोहली जब से राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में शामिल हुए हैं तब से वह अपने बेहतर बल्लेबाजी से सबको चौका ही रहे हैं. विराट कोहली ने अब तक 118 एकदिवसीय मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 52.32 की औसत से 4919 रन बनाए है. इसमें जो सबसे आम चीज है वह 17 शतक. सचिन ने जब एकदिवसीय मैचों में अपने कॅरियर की शुरुआत की थी उस समय उनका पहला शतक 79 मैच खेलने के बाद आया था लेकिन इतने मैचों तक विराट कोहली 8 शतक लगा चुके थे.


हाल फिलहाल की बात करें तो विराट कोहली की बल्लेबाजी सचिन से काफी आक्रामक रही है. आस्ट्रेलिया और भारत के बीच खेले जा रहे इसी एकदिवसीय सीरिज में विराट ने जयपुर में 52 गेंदों शतक मारकर, भारत के सबसे तेज शतक मारने वाले खिलाड़ी बने. उन्होंने विरेंद्र सहवाग का रिकोर्ड तोड़ा था. सहवाग ने न्यूजीलैंड के खिलाफ 2009 में 60 गेंदों पर 100 रन मारे थे.


विराट कोहली की इस शानदार प्रदर्शन को देखते हुए अब यह मुद्दा बन चुका है कि सचिन के उत्तराधिकारी के रूप में क्या विराट तेजी से आगे बढ़ रहे है. अगले महीने सचिन क्रिकेट से संन्यास ले रहे हैं. उन्होंने जिस तरह से 24 सालों तक भारतीय क्रिकेट में अपनी सेवा दी है उसको लेकर अब लोग विराट कोहली की तरफ उम्मीद भरी नजर से देख रहे हैं. तो क्या हम यह कह सकते हैं कि सचिन के रूप में हमे एक नया खिलाड़ी मिल चुका है.


इससे कोई दोराय नहीं है कि विराट कोहली एक बेहतर बल्लेबाज है. उन्होंने बहुत ही जल्दी अपने आपको साबित करके सबको बता दिया कि वह भी एक महान खिलाड़ी हो सकते हैं. लेकिन फिर अभी वह सचिन से काफी पीछे है न केवल रिकॉर्ड में बल्कि शॉर्ट सलेक्शन में भी. तेंदुलकर क्रिकेट खेल के इतिहास के सबसे महानतम बल्लेबाज हैं. जब वह खेलते हैं तो उनके शॉर्ट सलेक्शन और तकनीक में कोई मिलावट नहीं होता. उनके रक्षात्मक शॉट ऐसे होते हैं मानो किताब का कोई चित्र हो.


इसके अलावा सचिन में एक चीज जो है वह विराट कोहली में न के बराबर है. संयम और नियंत्रण यह दो चीज सचिन तेंदुलकर में शुरू से ही है. मैदान पर जब भी उन्हें गुस्सा आता है तो वह जाहिर नहीं होने देते और अपने बल्ले से इसका जवाब देते हैं. सचिन की यही खूबी उनके विरोधियों को भी पसंद आती है. वहीं जब बात विराट कोहली की जाती है तो वह संयम और नियंत्रण के मोर्चे पर पूरी तरह से विफल रहे हैं. उनके हाव-भाव कई बार कई बार मीडिया के लिए चर्चा के विषय रहे हैं.


क्रिकेट के कई विश्लेशक मानते है कोई भी महान खिलाड़ी एक बार ही पैदा होता है. अगर कोई खिलाड़ी उस महान खिलाड़ी के करीब भी पहुंच जाता है तो वह उसकी अपनी विशेषता और महानता होगी. तुलना करना तो उन दोनों खिलाड़ियों को अपमानित करने जैसा है. वैसे भी जब सचिन विराट की तरह अपनी बुलंदियों पर थे उस समय भी लोग उनकी तुलना सुनील गवास्कर और डॉन ब्रैडमेन से की जा थी और आज भी की जाती है लेकिन हम सभी जानते हैं कि सचिन अलग क्लास (वर्ग) के बल्लेबाज हैं जबकि सुनील गावस्कर और डॉन ब्रेडमैन अलग क्लास के.

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