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क्रिकेट के शहंशाह को देखकर प्रशंसक हुए रुआंसे

आज क्रिकेट के उस युग की समाप्ति हो गई जिसे भारतीय क्रिकेट के लिहाज से सबसे सुनहरा दौरा माना जाता है. सौरभ गांगुली, राहुल द्रविड, वीवीएस लक्ष्मण और अनिल कुंबले के बाद अब क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने भी आज अंतिम विदाई ले ली. उन्होंने अपने अंतिम बिदाई में जिन लोगों का उनकी जिंदगी में सबसे ज्यादा योगदान रहा उसे याद किया.


संन्यास से पहले सचिन किसे याद किया:

sachin 13पिता (रमेश तेंदुलकर)

वानखेडे स्टेडियम में सचिन ने अंतिम विदाई से पहले जिस व्यक्ति का सबसे पहले नाम लिया, वह उनके पिता रमेश तेंदुलकर है. सचिन ने अपने पिता को अपनी जीवन का सबसे अहम इंसान बताया. सचिन ने कहा- जब मै 11 साल का था तब मेरे पिता ने एक खुला महौल दिया. उन्होंने कहा कि मै पिता की कमी 1999 से महसूस कर रहा हूं, जब कभी भी मैं क्रिकेट में कुछ स्पेशल करना हूं, मैं अपना बल्ला उठाकर अपने पिता को शुक्रिया अदा करता हूं.


मां (रजनी तेंदुलकर)

सचिन ने अपनी मां (रजनी तेंदुलकर) के बारे में कहा- मुझे नहीं पता कि मेरी मां बचपन में मुझ जैसे शरारती बच्चे को कैसे बर्दास्त करती थी. फिर भी मेरी मां हर तरह से मेरे साथ रही. मां ने एक खिलाड़ी होने के नाते मेरे स्वास्थ्य और खानपान का पूरा ध्यान रखा. जब कभी भी मैं मैदान पर होता उन्होंने हमेशा मेरे लिए भगवान से प्रार्थना ही किया है.


सचिन के भाई और बहन

सचिन ने अपनी बहन सविता, बड़े भाई नितिन और अजीत को भी धन्यवाद कहा. उन्होंने अपने भाई नितिन के बार में कहा कि उन्होंने हमेशा मेरा समर्थन किया है. सचिन ने कहा कि उनकी बड़ी बहन सविता ने ही उन्हें सबसे पहला बैट उपहार के रूप में दिया.

सचिन की जिंदगी में अजीत तेंदुलकर का बहुत ही ज्यादा योगदान है. अजीत के बारे में बोलते हुए सचिन ने कहा कि मुझे नहीं पता कि अपने भाई अजीत के बारे में क्या कहूं ?. उनके मुताबिक उन्होंने अजीत के साथ ही एक क्रिकेट खिलाड़ी बनने का सपना पाला था. अजीत ने ही मुझे कोच रमाकांत आचरेकर से मिलवाया, जिससे मेरी जिंदगी में बदलाव आया. पिछली रात भी मेरे विकेट को लेकर उन्होंने फोन पर मुझसे बात की. जब मैं नहीं खेल रहा होता हूं तब भी हम खेलने की तकनीक के ऊपर बात कर रहे होते हैं. अगर यह ना होता तो मैं वो क्रिकेटर ना होता जो आज बन पाया हूं.


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पत्नी (अंजलि) और बच्चे

सबसे खूबसूरत चीज जो जीवन में हुई वो थी जब 1990 में मैं अंजलि से मिला. मुझे पता है कि एक डॉक्टर होने के नाते उसके सामने एक बड़ा कॅरियर था लेकिन उसने फैसला लिया कि मैं क्रिकेट खेलता रहूं और वो बच्चों व घर का ध्यान रखेंगी. धन्यवाद अंजलि, हर उस अजीब बातों के लिए जो मैंने की.

मेरे ससुराल के लोग, मैंने उनके साथ काफी बातें साझा की हैं. जो एक चीज उन्होंने मेरे लिए सबसे खास की, वो थी मुझे अंजलि से शादी करने देना.

फिर मेरे जीवन के दो अनमोल हीरे, सारा (बेटी) और अर्जुन (बेटा). मैं तुम लोगों के कई जन्मदिन और छुट्टियों से चूक गया. उन्होंने अपने बच्चों के बारे में कहा-मैं जब कभी स्कूल में पैरेंट्स मीटिंग में नहीं जाता या फिर होमवर्क कराने में इनकी मदद नहीं कर पाता, तो इन्होंने कभी इसकी शिकायत नहीं की. मुझे पता है कि पिछले 14-16 सालों में मैं तुम लोगों को ज्यादा वक्त नहीं दे पाया, लेकिन वादा करता हूं कि अगले 16 तो जरूर तुम्हारे साथ रहूंगा हर पल.


कोच रमाकांत आचरेकर

मेरा कॅरियर शुरू हुआ जब मैं 11 साल का था. मैं इस बार स्टैंड्स पर आचरेकर सर (पहले कोच) को देखकर बहुत खुश हुआ. मैं उनके साथ स्कूटर पर बैठकर दिन में दो-दो मैच खेला करता था. वह कोशिश करते थे कि मैं हर मैच खेलूं. वो कभी मुझे यह नहीं कहते थे कि तुम अच्छा खेले क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि मैं हवा में उड़ने लगूं. सर अब आप ऐसा कर सकते हैं क्योंकि अब मैं नहीं खेलने वाला.


सीनियर और साथी खिलाड़ियों को धन्यवाद

सचिन ने कहा- सभी सीनियर क्रिकेटरों को धन्यवाद जो मेरे साथ खेले. सामने स्क्रीन पर आप राहुल, वीवीएस और सौरव को देख सकते हैं, अनिल (कुंबले) यहां नहीं हैं अभी. सभी कोचों को भी धन्यवाद. मुझे हमेशा याद रहेगा वो पल जब इस मैच के शुरू होने से पहले एमएस धौनी ने मुझे 200वें टेस्ट की टोपी भेंट की.


और भी क्या कहा

सचिन ने मुम्बई क्रिकेट संघ, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड, मीडिया (प्रिंट इलेक्ट्रानिक एवं फोटोग्राफरों), चयनकर्ताओं, फिजियो, ट्रेनरों और तमाम टीम सहयोगियों को भी धन्यवाद दिया.


प्रशंसकों को शुक्रिया

आखिर में उन्होंने उन प्रशंसकों को धन्यवाद किया जिन्होंने उन्हें दुनिया का महान खिलाड़ी बनाया. उन्होने कहा- मैं उन सभी लोगों को शुक्रिया कहना चाहता हूं जो दुनिया के हर कोने से आते हैं. मैं अपने दिल से सभी फैंस को धन्यवाद कहना चाहता हूं. एक चीज जो मेरी आखिरी सांसों तक मेरे कान में गूंजती रहेगी वो है ‘सचिन, सचिन’.


Post your comment- वानखेड़े स्टेडियम में सचिन तेंदुलकर का अंतिम सम्बोधन पूरी तरह भावनाओं से ओतप्रोत रहा. इस महान खिलाड़ी ने जिस तरह से से अपनी 24 साल भारतीय क्रिकेट को दिए है उस पर 24 शब्द तो जरूर लीखिए.


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