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भारत में आक्रामक बल्लेबाजी की नींव यहां से पड़ी

आज भारतीय क्रिकेट टीम में विस्फोटक बल्लेबाजों की कमी नहीं है. ग्यारह खिलाड़ियों में से आपको चार-पांच ऐसे खिलाड़ी मिल जाएंगे जो अपने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं. लेकिन जब बात अस्सी के दशक की होती है तो उस समय एक-दो ही खिलाड़ी आपको मिलेंगे जिनकी पहचान आक्रामक बल्लेबाज के तौर पर की जाती रही है. कृष्णमाचारी श्रीकांत उन्ही में से एक हैं.


krishnamachari srikkanthश्रीकांत 1983 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे और अपनी आक्रामक बल्लेबाज़ी के लिए जाने जाते थे. उन्होंने अस्सी के दशक में सुनील गावसकर के साथ भारत के लिए सफल सलामी जोड़ी भी बनाई थी. श्रीकांत ने सलामी बल्लेबाज के तौर पर दिलीप वेंगसरकर, मोहिंदर अमरनाथ और रवि शास्त्री के साथ शानदार जोड़ी बनाई. उस समय एकदिवसीय मैचों में उनका शुरुआती स्कोर काफी मायने रखता था. बतौर सलामी बल्लेबाज आज की तरह वह भी रिस्क लेते और गेंद को बॉंडरी के बाहर पहुंचाते.


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21 दिसंबर 1989 को जन्में श्रीकांत को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था. उनका घरेलू मैचों में शानदार रिकॉर्ड है. वह बल्लेबाज के साथ-साथ एक अच्छे फिल्डर भी हैं. श्रीकांत ने अपने क्रिकेटिंग कॅरियर की शुरुआत इंग्लैंड के खिलाफ 1981 में की. इसके दो दिन बाद उन्होंने टेस्ट में भी पदार्पण किया. उस समय उनकी उम्र महज 21 साल थी.


भारत के पूर्व कप्तान कृष्णमाचारी श्रीकांत एक अच्छे बल्लेबाज के साथ-साथ भारत के प्रमुख चयनकर्ता भी रहे. वह चार साल तक इस पद पर रहे. इस दौरान भारतीय क्रिकेट टीम ने धोनी की अगुवाई में दूसरी बार विश्व कप का खिताब अपने नाम किया. इससे पहले भारत ने 1983 में विश्व कप का खिताब अपने नाम किया था. उस समय भी श्रीकांत खिलाड़ी के रूप में भारतीय टीम के हिस्सा थे. बतौर चयनकर्ता श्रीकांत के कार्यकाल में भारतीय टीम ने टेस्ट में नंबर वन का स्थान भी प्राप्त किया. वर्तमान में श्रीकांत आईपीएल की टीम सनराइज हैदराबाद के एंबेस्डर हैं.


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