भारत के विराट कोहली टेस्ट और वनडे में सचिन तेंडुलकर का रेकॉर्ड तोड़ सकते हैं: पूर्व टेस्ट क्रिकेटर चेतन चौहान
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ये कुछ ऐसे बड़े और महान खिलाड़ियों के शब्द हैं जिन्होंने क्रिकेट को सालों से खेला, देखा और महसूस किया है. इन जैसे और भी कई बेहतरीन खिलाड़ी व क्रिकेट प्रशंसक मानते हैं कि पूर्व खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर की महानता के आगे कोई टिक सकता है तो वो आज के युवा बल्लेबाज विराट कोहली हैं.
वैसे कोहली पिछले वनडे मैच में शतक लगाकर 19 शतकों की ब्रायन लारा की बराबरी करके महानतम खिलाड़ी की श्रेणी में शामिल हो चुके हैं. कोहली विश्व के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने 19 शतक मात्र 131 मैच में लगाए हैं. यही नहीं सबसे तेज 5000 हजार रन बनाने वाले भी पहले खिलाड़ी हैं. रनों के अंबार की वजह से हम सचिन को विश्व का सबसे महान खिलाड़ी मानते हैं, लेकिन जिस तरह से विराट कोहली अपने बल्ले से रन उगल रहे हैं उससे तो यही लगता है कि सचिन के बनाए हुए रिकॉर्ड उनके आगे बौने से लगते हैं. वैसे सचिन के सामने विराट की महानता नीचे दिए गए इस तथ्य से साबित होती है. सचिन ने जब एकदिवसीय मैचों में अपने कॅरियर की शुरुआत की थी उस समय उनका पहला शतक 79 मैच खेलने के बाद आया था लेकिन इतने मैचों तक विराट कोहली 8 शतक लगा चुके थे.
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यह तो बात हुई शुरुआती आंकड़ों की जहां विराट तेजी से सचिन की ओर कदम बढ़ाते दिख रहे हैं, लेकिन बात जब जुनूनी क्रिकेटर की हो तो वहां भी विराट कोहली कहीं ना कहीं सचिन से एक कदम आगे दिखाई देते हैं. सचिन के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह जागते-सोते हर समय क्रिकेट के बारे में सोचते हैं लेकिन विराट कोहली इस मामले में सचिन से एक कदम आगे हैं. दोनों खिलाड़ियों से जुड़े अलग-अलग वाकये हम आपको बताते हैं जिससे आप निर्णय लीजिए कि क्रिकेट को लेकर धुन किस खिलाड़ी में सबसे ज्यादा है.
सचिन से जुड़ा वाकया
बात उन दिनों की है जब 1999 में इंग्लैड में विश्व कप खेला जा रहा था, जहां भारत की स्थिति ठीक नहीं थी. भारत का मुकाबला जिम्ब्बॉबे के साथ होने वाला था कि कहीं से पता चला कि सचिन तेंदुलकर के पिता का आकस्मिक निधन हो गया. सचिन बीच में मैच छोड़कर इंग्लैड से मुंबई के लिए रवाना हुए. भारत जिम्ब्बॉबे जैसी कमजोर टीम के साथ मैच हार गया. हालांकि पिता की अन्त्येष्टि के बाद सचिन अगले मैंच में उपस्थित हो गए और केन्या के खिलाफ 140 रन की शानदार पारी खेली.
विराट से जुड़ा वाकया
घटना 2006 की है जबएक असाधारण घटना से विराट अचानक राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गए. उस दौरान कर्नाटक और दिल्ली के बीच रणजी ट्रॉफी मैच हो रहा था. मैच के दूसरे दिन कहीं से खबर आई कि कोहली के पिता का निधन हो गया. अगले दिन उनका अंतिम संस्कार होना था इसलिए विराट को जाना चाहिए.
उधर, मैच में दिल्ली की हालत कमजोर थी. पहली पारी में कर्नाटक ने 446 रन बनाए थे. जवाब में दिल्ली की टीम 59 रनों पर अपने पांच बल्लेबाज खो चुकी थी. दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक विराट कोहली और पुनीत बिष्ट क्रीज पर थे और उस समय दिल्ली का स्कोर 103 रन था. फॉलोऑन का खतरा सिर पर मंडरा रहा था. कोच चेतन चौहान और कप्तान मिथुन मन्हास सहित टीम के बाकी लोगों ने कोहली से कहा कि वे मैच छोड़कर घर जाएं. लेकिन कोहली ने कहा कि वे टीम के साथ रहेंगे. उन्होंने कुल 90 रन बनाए और पुनीत बिष्ट के साथ छठे विकेट के लिए 152 रनों की साझेदारी करके दिल्ली को फॉलोऑन से बचा लिया. इसके बाद वे पिता के अंतिम संस्कार में गए. अपने इस फैसले के बारे में जब कोहली से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह उनकी अपने पिता को श्रद्धांजलि थी. इस तरह उन्होंने टीम के प्रति अपने दायित्व को अपने व्यक्तिगत दुख से ऊपर रखा.
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