Menu
blogid : 7002 postid : 946674

1998 विश्वकप का यह स्टार क्रिकेटर आज है भैंस चराने को मजबूर

विश्वकप में देश का प्रतिनिधित्व करना किसी भी क्रिकेटर का सपना होता है. भालाजी डामोर भी विश्वकप में भारत की ओर से खेलना चाहते थे. 1998 के विश्वकप में इस ऑलराउंडर ने न सिर्फ देश की तरफ से खेला बल्कि इस टुर्नामेंट के हीरो भी रहे. बेशक वह विश्व कप दृष्टिबाधित खिलाड़ियों का था लेकिन इस खिलाड़ी की बदौलत भारत सेमी-फाइनल में पहुंच सका था. किसान परिवार से आने वाले इस अंधे क्रिकेटर को उम्मीद थी की विश्वकप के बाद उनकी जिंदगी बेहतर हो जाएगी लेकिन आज 17 साल बाद यह प्रतिभावान खिलाड़ी भैंस चराने और छोटे-मोटे खेती के काम करने को मजबूर है.



bhalaji-damor-55



गुजरात से ताल्लुक रखने वाले इस क्रिकेटर के नाम आज भी भारत की तरफ से सर्वाधिक विकेट  लेने का रिकॉर्ड है. 38 वर्षीय इस क्रिकेटर का रिकॉर्ड बेहद शानदार है. 125 मैचो में इस ऑलराउंडर ने 3,125 रन और 150 विकेट लिए हैं. पूरी तरह से दृष्टिबाधित इस क्रिकेटर ने भारत की तरफ से 8 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं.


Read: इस नेत्रहीन की फर्राटेदार क्रिकेट कमेंट्री हैरान कर देगी आपको


“विश्वकप के बाद मुझे उम्मीद थी कि मुझे कहीं नौकरी मिल जाएगी. लेकिन मुझे कहीं नौकरी नहीं मिल पायी. स्पोर्ट कोटा और विकलांग कोटा मेरे किसी काम नहीं आ सके.” भालाजी बेहद भारी मन से कहते हैं. कई सालों बाद गुजारत सरकार ने उनका प्रशंसात्मक उल्लेख जरूर किया लेकिन उन्हें अबतक एक अदद नौकरी की दरकार है.



bhalaji



अरावली जिले के पिपराणा गांव में भालाजी और उनके भाई की एक एकड़ जमीन है लेकिन इतनी सी जमीन पर हाड़-तोड़ मेहनत करने के बाद भी उनका परिवार महीने के केवल 3000 रुपए कमा पाता है. भालाजी की पत्नी अनु भी खेत में काम करती हैं. उनका पूरा परिवार एक कमरे के घर में रह रहा है जहां जगह-जगह इस स्टार क्रिकेट के कॅरियर में मिले पुरस्कार और सर्टिफिकेट बिखरे पड़े हैं.


Read: इस महाराजा के क्रिकेट के जुनून ने दिया पटियाला पैग को जन्म


नेशनल एशोसिएशन ऑफ ब्लाइंड के वाइस प्रेसिडेंट भास्कर मेहता कहते हैं कि भारतीय अंध टीम को भालाजी जैसा प्रतिभावान खिलाड़ी फिर नहीं मिला, “विश्वकप के दौरान उसके साथी खिलाड़ी उसे सचिन तेंदुलकर कहकर बुलाते थे.”



bhalaji-damor1



जहां एक तरफ रेगुलर क्रिकेटर्स को जिंदगी में खूब सारी दौलत-सोहरत मिलती है वहीं भालाजी जैसे क्रिकेटर अपनी तमाम प्रतिभा के बावजूद अपने कॅरियर और कॅरियर समाप्त होने के बाद एक सम्मानजनक जिंदगी की व्यवस्था करने के लिए जद्दोजहद करने को मजबूर हैं. Next…



Read more:

इस महाराजा के क्रिकेट के जुनून ने दिया पटियाला पैग को जन्म

क्रिकेट मैदान से बाहर सहवाग का ये नया अचीवमेंट

क्या हाल बना लिया है क्रिकेटर एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने, खा रहे हैं कॉकरोच


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh