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ये हैं क्रिकेट इतिहास के 7 फ्लॉप नियम

क्रिकेट को भारत में एक खेल नहीं बल्कि धर्म का दर्जा दिया जाता है. वहीं दुनिया भर में लोकप्रियता के मामले में क्रिकेट सबसे आगे है. समय-समय पर क्रिकेट की लोकप्रियता और भी बढ़ाने के लिए क्रिकेट जगत में कई एक्सपेरिमेंट किए जाते रहे हैं. लेकिन इनमें से कुछ एक्सपेरिमेंट ही कामयाब होते हैं ज्यादातर फ्लॉप साबित होते हैं. आइए, हम आपको बताते हैं क्रिकेट जगत के ऐसे एक्सपेरिमेंट जो बुरी तरह फ्लॉप हुए हैं.


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सुपरसब

‘सुपरसब’ जिसे हम सुपर सब्स्टीट्यूट भी कहते हैं, पहली बार 2005 में क्रिकेट नियमों में शामिल किया गया. इसमें प्रत्येक टीम एक सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी को शामिल कर सकती थी. इसका निर्णय कप्तान टॉस से पहले लेता था. सुपरसब को कप्तान मैंच के दौरान टीम में कभी भी शामिल कर सकता था. वह बल्लेबाजी, गेंदबाजी, क्षेत्ररक्षण या विकेट कीपिंग भी कर सकता था. इसमें प्रतिस्थापित खिलाड़ी आगे की खेल में भाग नहीं ले सकता है. ‘सुपरसब’ क्रिकेट के बारहवें खिलाड़ी के नियम से बिलकुल ही अलग है. इसमें खिलाड़ी सुपरसब की तरह बल्लेबाजी और गेंदबाजी नहीं कर सकता है. हालांकि इस नियम को विश्व के कप्तानों ने बहुत ही विरोध किया. 2005 में ही इस नियम को खत्म करने के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय कप्तानों ने “जेंटलमैन समझौता” किया. 15 फरवरी 2006 को आईसीसी ने सुपरसब नियम को समाप्त करने की घोषणा की.


बारीश पर नियम

बारीश से प्रभावित मैंच के लिए 1992 के विश्वकप में ‘रेन रुल’ नाम से एक नियम लाया गया. ये नियम उस टीम के लिए मुसिबत से कम नहीं थी जो पहले बैंटिंग करती थी. इस नियम की वजह से 1992 विश्वकप सेमीफाइनल में साउथ अफ्रीका को हार का सामना करना पड़ा. इस नियम के कारण काफी मैच विवादों से भरे रहे लेकिन बाद में डकवर्थ लुईस ने इसकी जगह ले ली.


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त्रिकोणीय टेस्ट सीरीज

अभी क्रिकेट में द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज खेली जाती है लेकिन 1912 में पहली बार त्रिकोणीय टेस्ट सीरीज खेली गई, अर्थात टेस्ट सीरिज में तीसरी टीम को भी शामिल किया गया. आस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड ये तीन देश हैं जिन्होंने पहली बार त्रिकोणीय टेस्ट सीरीज खेला. इन टीमों ने इंग्लैंड के पांच जगहों में कुल नौ मैच खेला. हालांकि यह त्रिकोणीय टेस्ट सीरीज असफल रहा. 2012 के बाद इसे दोबारा वापिस कभी नहीं लाया गया.


बॉल आऊट

इस नियम को पहली बार फरवरी 2006 में न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज के मैच में शामिल किया गया. इस नियम के तहत दोनों टीमें टाई होने पर पांच-पांच प्रयास के साथ बॉल करती थी. जिसने सबसे ज्याद स्टंप चटकाए वह जीत जाता था. 2007 में टी20 विश्वकप के दौरान एक मैंच में भारत ने पाकिस्तान को ऐसे ही हराया था. फिलहाल इस नियम की जगह सुपर ओवर ने ले ली है.


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सुपरमैक्स

यह अनोखा नियम न्यूजीलैंड में टी-20 क्रिकेट के लिए इस्तेमाल किया गया था लेकिन इसे बाद में लागू नहीं किया गया.  इस नियम के तहत…

  1. दोनों टीमें 10-10 ओवर की दो इनिंग खेलती थी.
  2. इसमें वाइड के दो रन थे.
  3. तीन की जगह चार स्टंप्स को शामिल किया गया.

45 ओवर का मैच

2010 में क्रिकेट आस्ट्रेलिया 45 ओवर के अनोखे आइडिया के साथ लिमिट ओवर कम्पटीशन लेकर आई. इस फॉरमेट के तहत मैच दों पारियों में होता था, जैसे एक पारी 20 ओवर की तो दूसरी पारी 25 ओवर की होती थी. लेकिन ये ज्यादा सफल नहीं रहा.


सुपरटेस्ट

2005 में आईसीसी ने सिडनी में सुपरटेस्ट का आयोजन करवाया. यह मैच आस्ट्रेलिया और विश्व एकादश के बीच खेला गया. यह मैच छह दिनों तक खेला गया लेकिन यह सफल नहीं रहा…Next


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