सोचिए, आप भारत-पाकिस्तान का मैच देख रहे हैं. इतने में भारत का जीरो पर विकेट गिर जाता है. आपको थोड़ी निराशा जरूर होती है लेकिन आपको इस बात की तसल्ली होती है कि अगला खिलाड़ी पारी संभाल लेगा, लेकिन वो खिलाड़ी भी जीरो पर पैवेलियन लौट जाता है. अब आपके मुंह से गुस्से में निकलता है ‘ओह नो…ये भी डक पर आउट हो गया’. डक यानि जीरो. क्रिकेट फैंस बखूबी जानते हैं कि बिना एक भी रन बनाए किसी खिलाड़ी के आउट होने पर उसको डक पर आउट होना कहते हैं.
‘डक’ शब्द सबसे ज्यादा इग्लिंश कमेंट्री में इस्तेमाल होता है. क्या आपने कभी सोचा है कि किसी खिलाड़ी के जीरो पर आउट होने पर ‘डक’ क्यों कहा जाता है. आइए, हम आपको बताते हैं.
ऐसे हुई डक शब्द की उत्पत्ति
इस शब्द की उत्पत्ति साल 1877 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच दुनिया के पहले अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच के पहले हो गई थी. यह बात 17 जुलाई 1866 की है जब एक क्रिकेट मैच में वेल्स के राजकुमार(जो बाद में एडवर्ड VII बने) पहली ही गेंद पर आउट हो गए थे. इस खबर को एक अखबार ने एक बेहतरीन हेडिंग के साथ छापा.
अखबार ने लिखा कि ‘राजकुमार बतख के अंडे के साथ शाही पवेलियन की ओर रवाना हुए’. दरअसल, ये हेंडिग हास्यव्यंग्य में इस्तेमाल की गई थी. यह माना जाता है कि ‘डक’ नाम बतख के अंडे के शून्य के आकार के होने से पड़ा. बाद के सालों में कई अखबारों ने इस शब्द को अपनाना शुरू कर दिया और यह शब्द अब क्रिकेट डिक्शनरी का हिस्सा बन चुका है.
डक के भी होते हैं प्रकार
क्रिकेट में जब बल्लेबाज पहली ही गेंद पर आउट हो जाता है, तो उसे ‘गोल्डन डक’ कहते हैं. वहीं अगर वह दूसरी गेंद या तीसरी गेंद पर आउट हो जाता है तो इसे क्रिकेट की भाषा में ‘सिल्वर डक’ और ‘ब्रोंज डक’ कहते हैं. वहीं ऐसा बल्लेबाज जो बिना कोई गेंद खेले (नॉन स्ट्राइकिंग छोर पर खड़ा हुआ रन आउट हो जाए, या वाइड गेंद पर स्टंप्ड आउट हो जाए) तो इसे ‘डायमंड डक’ कहते हैं लेकिन आमतौर पर किसी खिलाड़ी के जीरो पर आउट होने को डक कहकर ही पुकारा जाता है.
तो, देखा आपने खेल हो या जिंदगी यहां इस्तेमाल हुए शब्द अलग कहानी है…Next
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