जब आप भीड़ से अलग दिखाई देते हैं तो लोग आपको बार-बार ये एहसास करवाते हैं कि आप नार्मल नहीं हैं जबकि सच्चाई ये होती है कि भीड़ से अलग दिखना ही आपको ‘नार्मल’ से ‘स्पेशल’ बनाता है, जिसे दुनिया नहीं देखना चाहती.
इतिहास भीड़ से अलग यही लोग बनाते हैं. ऐसी ही कहानी है जिम्बाब्वे के पहले अश्वेत क्रिकेटर ‘हेनरी ओलोंगा’ जिन्हें अपने क्रांतिकारी कदम की वजह से क्रिकेट कॅरियर से हाथ धोना पड़ा. 2003 क्रिकेट वर्ल्ड कप में हेनरी ओलोंगा का नाम पूरी दुनिया में छाया हुआ था. खास बात ये है कि क्रिकेट कॅरियर का अंत होने के बाद ओलोंगा ने हिम्मत नहीं हारी और एक गायक के तौर पर अपनी नई जिंदगी शुरू की. 2010 में उनकी कुछ फोटो वॉयरल हुई थी, जिसके बाद से वो मीडिया के कैमेरों से दूर हो गए. आइए, एक नजर डालते हैं पुरानी यादों पर.
सचिन पर गुस्सा हो गए थे ओलोंगा
1998 के हीरो कप फाइनल का मैच जिसमें जिम्बाब्वे के तेज गेंदबाज हेनरी ओलोंगा के कारण भारतजिम्बाब्वे के 205 रनों का भी पीछा नहीं कर पाई थी. ओलोंगा ने भारतीय शीर्षक्रम को तहस नहस कर दिया था और सचिन तेंदुलकर को भी आउट कर दिया था. तेंदुलकर को ओलोंगा ने लगातार दो गेंदों में आउट किया जिसमें एक नो बॉल थी और ओलोंगा ने बल्लेबाजी के धुरंधर को शॉर्ट गेंद पर आउट किया था. आउट होने से पहले सचिन ने ओलोंगा के गेंदबाजी की धज्जियां उड़ा दी थी.
उन्होंने एक अपर कट भी मारा जैसा कि उन्होंने 2003 के वर्ल्ड कप में शोएब अख्तर की गेदों को पीटा था. इसके बाद तो उन्होंने ओलोंगा को मैदान के हर कोणे में मारा और जब ओलोंगा को गेंदबाजी से हटाया गया वो 4 ओवर में 40 रन दे चुके थे. सचिन उन्हें आगे बढ़-बढ़ के मार रहे थे और ओलोंगा को कुछ समझ नहीं आ रहा था. तेंदुलकर ने उस मैच में अपना 21वां शतक पूरा किया और भारत ने मैच 10 विकेट से जीता.
बाजुओं पर काला बैंड बांधकर किया विरोध और खत्म हुआ कॅरियर
2003 क्रिकेट वर्ल्ड कप में एक ऐसी घटना घटी, जिसने उनके कॅरियर का अंत कर दिया. साउथ अफ्रीका में होने वाले एक मैच में ओलेंगा और उनके एक साथी खिलाड़ी ऐंडी फ्लावर ने बाजुओं पर काला बैंड बांध रखा था. दरअसल, दोनों मानवधिकारों के हनन का विरोध जताते हुए, इसे लोकतंत्र की मौत के रूप में पेश कर रहे थे. उनका ये प्रदर्शन हरारे स्पोर्टस क्लब में नाम्बिया के खिलाफ था.
जहां पर अश्वेतों के साथ भेदभावों किया जाता है. खुद उन्हें भी अश्वेत होने की वजह से कई बार मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी थी. जब उनसे इस बारे में पूछा गया कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? तो उन्होंने बेबाकी से कहा जिम्बाबे में मानव अधिकारों का हनन हो रहा है, हम ये छोटा-सा प्रयास कर रहे हैं, जिससे दुनिया का ध्यान इस और जाए.’
पूरी दुनिया की मीडिया में छा गए लेकिन जिम्बाबे टीम से हो गई विदाई
दुनिया के ज्यादातर देशों की मीडिया हेनेरी के साथ दिखीं थीं लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते जिम्बाबे में उनका विरोध किया जाने लगा. उनपर आरोप लगे कि वो अपने देश की छवि खराब कर रहे हैं. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उनके ऐसे कदम से जिम्बाब्वेबे पर नकरात्मक असर पड़ा है. कई नेताओं ने उनकी आलोचना की.
श्रीलंका के खिलाफ आखिरी मैच और छोड़ दिया देश
आपको जानकर हैरानी होगी कि हेनेरी पर देश की व्यवस्था पर सवाल उठाने के लिए देशद्रोही का मुकदमा चला दिया गया. उनके खिलाफ वारंट जारी कर दिया गया. इसके बाद उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिलने लगी. टूर्नामेंट का आखिरी मैच श्रीलंका के खिलाफ खेलकर हेनेरी इग्लैंड जाकर बस गए.
इस तरह एक घटना ने उनके क्रिकेट कॅरियर का अंत कर दिया…Next
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