‘फादर्स डे’ पर बाप ने बेटे को जीत का गिफ्ट दिया’. दिल को बहलाने और दिलासा देने के लिए कुछ ऐसे ही ट्रोल कल रात से सोशल मीडिया पर भटक रहे हैं.
कल के मैच में भारत का क्या हश्र हुआ, ये हर कोई जानता है लेकिन हार को इतनी गंभीरता से लेना आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है. वहीं हार के दूसरे पहलू की बात करें, तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जब आप किसी टीम को इतना पसंद करते हैं तो उसकी हार-जीत से आपको फर्क पड़ना लाजिमी है. भला आप चुप बैठकर तो मैच नहीं देख सकते न! किसी रोबोट की तरह. भावनाएं हैं तभी तो इंसान हैं हम सब, लेकिन इस भावना के बीच ‘खेल भावना’ को भी नजरअंदाज ना करें. खैर, टीम इंडिया की हार और पाकिस्तान की जीत ने जिंदगी की 5 सच्चाईयों पर एक बार फिर से मोहर लगा दी है. जो थोड़ी कड़वी ही सही लेकिन सच हैं.
1. कर्मों से मिलती है जीत कर्मकांडों, हवन से नहीं
कल सुबह से ही भारत की जीत के लिए जगह-जगह हवन किए जा रहे थे. क्रिकेट प्रेमियों पर जुनून इस कदर हावी था कि हवनकुंड में पाकिस्तान के नाम की भस्माआहुति भी दी गई, वहीं कीर्तन करके भी भारत की जीत की प्रार्थना की गई लेकिन भारत की हार ने साबित कर दिया कि खेल बेहतरीन प्रदर्शन से जीता जाता है न कि हवन, कीर्तन से. ये बात जरूर है कि प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है लेकिन कर्म इससे आगे चलता है.
2. बड़े बोल से जंग नहीं जीती जाती
ऐसा लगता है जैसे क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद से बड़बोलेपन का सारा ठेका सहवाग ने ले लिया है. सहवाग महान क्रिकेटर रहे हैं, उन्हें कई मैचों का अनुभव है लेकिन किसी भी टीम को कम आंकना एक क्रिकेट के ‘जेंटलमैन’ पर जमता नहीं. वहीं बाप-बेटे, गद्दार जैसे ट्रोल करने से नफरत और दबाव बढ़ते हैं, इससे कोई मैच नहीं जीता जा सकता.
3. विरोधी को कमतर ना मानना
आम जिंदगी में भी माना जाता है कि हमें किसी को भी कम नहीं समझना चाहिए. जहां सुई काम आती हैं वहां तलवार काम नहीं आ सकती. किसी को छोटा समझने से अंहकारवश हमारे अंदर की प्रतिभा कम होती जाती है. जिसका असर हमें तब समझ आता है, जब हम हार चुके होते हैं.
4. किसी का मजाक उठाने से अच्छा अपने काम पर ध्यान देना
‘अंग्रेजी’ सिर्फ एक भाषा है लेकिन कई लोगों ने इसे पढ़े-लिखे होने का एक अनिवार्य तत्व बना दिया है. आपको अंग्रेजी भाषा नहीं आती तो आप कम बुद्धि माने जाते हैं. बहुत वक्त नहीं बीता, जब सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी खिलाड़ियों की अंग्रेजी का मजाक बन रहा था. सामान्य-सी बात को किसी की कमी बनाकर मजाक उड़ाने से, खुद की कमियों को छुपाया नहीं जा सकता और ना ही विरोधी पर फतह पाई जा सकती है.
5. इतिहास पर जमे रहने से बात नहीं बनती
एक कहावत बनी कि ‘इतिहास खुद को दोहराता है’ और आप उसे आंख बंद करके मानने लगे. आप किसी से हर बार जीतते आए हो लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं है कि आप हर बार जीतेंगे ही. हर बार परिस्थिति और प्रदर्शन एक-सा नहीं रहता. वक्त के साथ कहावत बदल चुकी है. ‘इतिहास बदलते देर नहीं लगती’.
आपको भी अगर भारत की हार बर्दाश्त नहीं हो रही, तो जिंदगी की ये सच्चाईयां आपकी कुछ मदद जरूर करेगी. …Next
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