आजकल हर किसी की ज़ुबान पर टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली का नाम है। विदेशी मीडिया से लेकर देसी मीडिया कोहली की तारीफों के पुल बांध रहे हैं। कोहली की अगुवाई में भारत ने 2007-08 में मलेशिया में हुआ अंडर 19 वर्ल्ड कप जीता था। विराट ने खुद को बेहद काबिल बनाया इस मुकाम तक पहुंचने के लिए। अपनी आक्रामक बल्लेबाजी की वजह से कोहली को उसी साल सीनियर टीम में डेब्यू करने का मौका मिल गया। वहीं इसी साल पांच और खिलाड़ियों ने डेब्यू किया लेकिन वह आज कोहली के आसपास भी नजर नहीं आ रहे हैं।
1. यूसुफ पठान
अपनी स्विंग गेंदबाजी की बदौलत इरफान पठान ने 2003-04 के ऑस्ट्रेलियाई दौर पर टीम इंडिया में कदम रखा लेकिन उनके बड़े भाई यूसुफ को चार साल बाद टीम में वनडे डेब्यू करने का मौका मिला। हालांकि यूसुफ आईसीसी वर्ल्ड T20 कप में भारतीय टीम का हिस्सा रहे लेकिन उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ सिर्फ एक मैच खेलने का मौका मिला। यूसुफ को सबसे बड़ी सफलता आईपीएल से मिली जब उन्होंने राजस्थान रॉयल्स के 2007 में चैंपियन बनने में खास भूमिका निभाई और अगले साल टीम इंडिया में भी डेब्यू किया। यूसुफ 57 वनडे में 1000 रन भी पूरे नहीं कर सके हैं। इस दौरान 41 वनडे पारियों में उन्होंने 810 रन बनाए। इसमें दो शतक और सिर्फ तीन अर्द्धशतक शामिल है।
2. प्रज्ञान ओझा
बांए हाथ के स्पिनर ओझा गलत गेंदबाजी एक्शन वाले गेंदबाजों पर आईसीसी से गाज गिरने से पहले ही बीसीसीआई ने अपने गेंदबाजों पर लगाम कसनी शुरू कर दी और ओझा इसी में से एक गेंदबाज हैं। ओझा ने टीम इंडिया के लिए तीनों फ़ॉमैट में खेल चुके ओझा भी आईपीएल में डेक्कन चार्जर्स के चैंपियन गेंदबाज रह चुके हैं। 30 साल के ओझा टेस्ट में भी हिट रहे हैं, उन्होंने 24 टेस्ट में ही 113 विकेट हासिल किए।
3. मनोज तिवारी
घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत 31 साल के मनोज तिवारी ने टीम इंडिया में कदम रखा. ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर 2008 में उन्हें पहला वनडे खेलने का मौका भी मिला लेकिन वो कुछ खास नही कर पाए। प्रतिभा के मामले में मनोज किसी से कम नहीं हैं लेकिन बड़े-बड़े नामों के बीच वे कहीं खो जाते हैं। सीनियरों को आराम देने के क्रम में उन्हें टीम में जगह मिलती है लेकिन बड़े नामों की वापसी के बाद मनोज को दरकिनार किया जाता रहा है। ऐसे में अब उनकी टीम में वापसी मुश्किल नजर आ रही है।
4. सुब्रमण्यम बद्रीनाथ
बद्रीनाथ की प्रतिभा पर किसी को कभी भी शक नहीं रहा लेकिन वे टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की नहीं कर सके। हालांकि 36 साल के बद्रीनाथ ने भारत के लिए तीनों फ़ॉर्मेट में खेला लेकिन कभी पक्के तौर पर टीम का हिस्सा नहीं रहे। घरेलू क्रिकेट में 10 हजार से ज्यादा रन बना चुके बद्रीनाथ के लिए वापसी की राह लगभग बंद हो चुकी है।
5. मनप्रीत गोनी
आईपीएल में चेन्नई के लिए खेलते हुए मनप्रीत ने अपनी तेजी से सबको प्रभावित किया। तेज गेंदबाज के लिए जरूरी हर मसाला गोनी में था और वे चयनकर्ताओं की पसंद बन गए। दो वनडे में गोनी को खेलने का मौका मिला लेकिन वे कुछ खास नहीं कर सके। 2009 का आईपीएल सीज़न उनके लिए अच्छा नहीं रहा और वे चयनकर्ताओं की नजरों से उतर गए।…Next
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