भले ही ऑस्ट्रेलिया की टीम ने पहले एशेज टेस्ट में इंग्लैंड को करारी मात दी हो लेकिन इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया टीम इस जीत का जश्न नहीं पा रही है। अगर आपको याद हो तो 27 नवंबर 2014 को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर की असमय मौत से पूरा क्रिकेट जगत शोक में डूब गया था। फिल ह्यूज एक ऐसा नाम जो क्रिकेट प्रेमी कभी भुला नहीं पाएंगे, फिर चाहे उन्होंने ह्यूज को कभी बैटिंग करते हुए देखा हो या नहीं। 27 नवंबर 2014 को ह्यूज इस दुनिया से चले गए थे और अपने पीछे छोड़ गए थे दर्दनाक यादें।
जन्मदिन से पहले दुनिया को अलविदा कहा
फिलिप जोएल ह्यूज (फिल ह्यूज) का जन्म 30 नवंबर 1988 को न्यूसाउथ वेल्स में हुआ था। फिल ने अपने फर्स्ट क्लास करियर की शुरुआत 20 नवंबर 2007 को सिडनी में तस्मानिया के खिलाफ मैच से की थी। उन्होंने अपने फर्स्ट क्लास करियर में 26 शतकों के साथ 9 हजार से ज्यादा रन बनाए थे।
ह्यूज
ह्यूज ने 26 टेस्ट मैचों में 32.65 की औसत से 1535 रन बनाए थे। टेस्ट मैचों में उन्होंने तीन शतक और सात अर्धशतक लगाए। ह्यूज ने 25 वनडे मैचों में दो शतक और चार अर्धशतक की मदद से 35.91 की औसत से 826 रन बनाए। ह्यूज की मौत की जांच के लिए जांच समिति का गठन किया गया था। हालांकि समिति ने किसी को भी ह्यूज की मौत का दोषी नहीं पाया।
चोटिल
गेंद लगने के बाद ह्यूज कुछ परेशान दिखाई दिए और थोड़ा झुके, लेकिन कुछ ही पलों में वह अचेत होकर पिच पर गिर पड़े थे। उनकी चोट इतनी गंभीर थी कि मैच वहीं रोक देना पड़ा। 49वें ओवर की तीसरी गेंद पर चोट लगने के बाद वह चार दिवसीय मैच आगे नहीं खेला गया।
ह्यूज ने अस्पलात में तोड़ा दम
घायल ह्यूज को स्ट्रेचर पर मैदान से ले जाना पड़ा था। उन्हें कोमा की हालत में सेंट विंसेंट अस्पताल में भर्ती कराया गया, ह्यूज की आपात सर्जरी भी कराई गई थी। लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका, 3 दिसंबर को गृहनगर मैक्सविल में ह्यूज को नम आंखो से दुनिया को अलविदा कह दिया गया। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया और दुनियाभर के क्रिकेटर, राजनेता व अन्य नामी हस्तियां मौजूद रहीं।
ह्यूज की मौत से सदम से रहे माइकल क्लार्क
उस दौरान ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रहे माइकल क्लार्क ने पार्थिव शरीर को कंधा दिया था। अपनी बायोग्राफी में भी माइकल ने इस घटना का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा, ‘आने वाले कई रातें मेरे लिए किसी बुरे सपने की तरह थी। तुम्हें हर दिन में महसूस करता हूं, तुम एक अच्छे इंसान और बेहतरीन क्रिकेटर थे। हम सबकी दुआओं में तुम हमेशा रहोगे’। भारत की ओर से उस वक्त के टीम डायरेक्टर रवि शास्त्री, कप्तान विराट कोहली और कोच डंकन फ्लेचर भी विदाई यात्रा में शामिल हुए।
सीन एबॉट कई महीनों तक नहीं कर पाए गेंदबाजी
सबसे ज्यादा तकलीफ तो युवा तेज गेंदबाज सीन एबॉट को हुई जिनकी गेंद पर ये भयानक हादसा हुआ था। एबॉट को इस हादसे से उबरने में काफी दिन लग गए। कई महीनों तक सीन गेंदबाजी नहीं कर पाए, लेकिन आखिर उन्होंने वापसी की।…Next
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